Book Title: Jain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Author(s): Shreepalchandra Yati
Publisher: Pandurang Jawaji
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जैनसम्प्रदायशिक्षा।
तीन दवाइयां रोग के विरुद्ध हों तो उन्हें निकाल कर उस रोग को मिटानेवाली न लिखी हुई दवाइयों को भी उस नुसखे में मिला देना चाहिये।
१४-यदि गोली बांधने की कोई चीज़ ( रस आदि) न लिखी हो तो गोली पानी में बांधनी चाहिये।
१५-जिस जगह नुसखे में बजन न लिखा हो वहां सब दवाइयां बराबर लेनी चाहिये।
१६-यदि चूर्ण की मात्रा न लिखी हो तो वहां चूर्ण की मात्रा का परिमाण पाव तोले से लेकर एक तोलेतक समझना चाहिये परन्तु जहरीली चीज का यह परिमाण नहीं है।
१७-इस ग्रन्थ में विशेष दवाइयां नहीं दिखलाई गई हैं परन्तु बहुत से ग्रन्थों में प्रायः वजन आदि नहीं लिखा रहता है इस से अविज्ञ लोग घबड़ाया करते हैं, तथा कभी २ वजन आदि को न्यूनाधिक करके तकलीफ भी उठाते हैं, इस लिये सब के जानने के लिये संक्षेप से यहांपर इस विषय को सूचित करना अत्यावश्यक समझा गया।
यह चतुर्थ अध्यायका औषधप्रयोगनामक तेरहवां प्रकरण समाप्त हुआ ।
म मोरसिखा, मौरसिरी के अभाव में लाल कमल अथवा नीला कमल, नीले कमल के अभाव में कमोदनी, चमेली के फूल के अभाव में लौंग, आक आदि के दूध के अभाव में आक जादि के पत्तों का रस, पुहकरमूल और कलियारी के अभाव में कूठ, थुनेर के अभाव में कूठ, पीपरामूल के अभाव में चब्य और गजपीपल, बावची के अभाव में पमार के बीज, दारुहल्दी के अभाव में हल्दी, रसोत के अभाव में दारुहल्दी, सोरठी मिट्टी के अभाव में फिटकरी, तालीसपत्र के अभाव में स्वर्णतालीस, भारंगी के अभाव में तालीस अथवा कटेरी की जड़, रुचक के अभाव में रेह का नमक, मुलहटी के अभाव में धातकीपुष्प, अमलवेत के अभाव में चूका, दाख के अभाव में कम्भारी का फल, दाख और कम्भारी दोनों के अभाव में बन्धुक का फूल, नखद्रव्य के अभाव में लौंग, कस्तूरी के अभाव में कंकोल, कंकोल के अभाव में चमेली का फूल, कपूर के अभाव में सुगन्ध मोथा अथवा गठौना, केसर के अभाव में कसूम के नये फूल, श्रीखण्ड (श्वेत चन्दन ) के अभाव में कपूर, केशर और चन्दन के अभाव में लालचन्दन लालचन्दनके अभाव में नई खस, अतीस के अभाव में नागरमोथा, हरड के अभाव में आँवला, नागकेशर के अभाव में कमल की केशर, मेदा महामेदा के अभाव में सताबर, जीवक ऋषभक के अभाव में विदारीकन्द, काकोली क्षोरकाकोली के अभाव में असगंध, ऋद्धि, वृद्धि के अभाव में वाराहीकन्द, वाराहीकन्द के अभाव में चर्म कारालु, भिलाये के अभाव में लाल चन्दन अथवा चित्रक, ईख के अभाव में नरसल, सुवर्ण के अभाव में सोनामक्खी, चांदी के अभाव में रूपामक्खी, दोनों मक्षिकाओं (स्वर्णमक्षिका और रजतमक्षिका) के अभाव में स्वर्ण गेरू, सुवर्णभस्म और रजतभस्म के अभाव में कान्तिलोह की भस्म, कान्तिलोह के अभाव में तीक्षण (खेरी) लोह, मोती के अभाव में मोती की सीप, दाहद के अभाव में पुराना गुड़, मिश्री के अभाव में सफेद बूरा, सफेद वरे के अभाव में सफेद खांड, दूध के अभाव में मूंग का रस अथवा मसूर का रस, इत्यादि ।
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