Book Title: Jain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Author(s): Shreepalchandra Yati
Publisher: Pandurang Jawaji
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जैनसम्प्रदायशिक्षा।
जिस दिन पनोती बैटे उस दिन यदि जन्मराशि से पहिला, छठा तथा ग्यारहवाँ चन्द्र हो तो उस पनोती को सोने के पाये जानना चाहिये, यदि दूसरा, पाँचवाँ तथा नवाँ चन्द्र हो तो उस पनोती को रूपे के पाये जानना चाहिये, यदि तीसरा, सातवाँ तथा दशवाँ चन्द्र हो तो उस पनोती को ताँबे के पाये जानना चाहिये तथा यदि चौथा आठवाँ और बारहवाँ चन्द्र हो तो उस पनोती को लोहे के पाये जानना चाहिये। पनोती के फल तथा वर्ष और मास के पाये का वर्णन।
यदि पनोती सोने के पाये बैठी हो तो चिन्ता को उत्पन्न करे, यदि पनोती रूपे के पाये बैठी हो तो धन मिले, यदि पनोती ताँबे के पाये बैठी हो तो सुख और सम्पति मिले तथा यदि पनोती लोहे के पाये बैठी हो तो कष्ट प्राप्त हो, इसी प्रकार जिस दिन वर्ष तथा मास बैठे उस दिन जिस राशि का चन्द्र हो उस के द्वारा ऊपर लिखे अनुसार सोने के रूपे के तथा ताँबे के पाये पर बैठनेवाले वर्ष अथवा मास का विचार कर सम्पूर्ण वर्ष का अथवा मास का फल जान लेना चाहिये, जैसे देखो ! कल्पना करो कि-संवत् १९६४ के प्रथम चैत्र शुक्ल पड़िवा के दिन मीन राशि का चन्द्र है वह (चन्द्र) मेषराशि वाले पुरुष की बारहवां होता है इस लिये ऊपर कही हुई रीति से लोहे के पाये पर वर्ष तथा मास बैठा अतः उसे कष्ट देनेवाला जान लेना चाहिये, इसी रीति से दूसरी राशिवालों के लिये भी समझ लेना चाहिये। चोरी गई अथवा खोई हुई वस्तु की प्राप्ति वा अप्राप्ति
का वर्णन । पूर्व दिशा में दक्षिण दिशा में पश्चिम दिशा में उत्तर दिशा में शीघ्र मिलेगी तीन दिन में मिलेगी एक मास में मिलेगी नहीं मिलेगी रोहिणी मृगशीर्ष
आर्द्रा
पुनर्वसु पुष्य आश्लेषा मघा
पूर्वाफाल्गुनी उत्तराफाल्गुनी हस्त
स्वाती विशाखा अनुराधा
ज्येष्ठा पूर्वापाढ़ा उत्तराषाढ़ा
अभिजित्
श्रवण धनिष्ठा
शतभिषा पूर्वाभाद्रपद उत्तराभाद्रपद रेवती अश्विनी भरणी
कृत्तिका विज्ञान-ऊपर के कोष्ठ से यह समझना चाहिये कि-जिस दिन वस्तु खोई गई हो अथवा चुराई गई हो (वह दिन यदि मालूम हो तो) उस दिन का
चित्रा
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