Book Title: Jain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Author(s): Shreepalchandra Yati
Publisher: Pandurang Jawaji
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जैनसम्प्रदायशिक्षा।
चाँदी आदि सब सम्पत्ति होगी, इस बात का यह पुरावा है कि-तूने स्वप्न में गाय वा बैल को देखा है अथवा देखेगा, तू परदेश में भी जाने का विचार करता है, तू कुलदेवी को मान, तेरे लिये अच्छा होगा।
२१३-हे पूछनेवाले ! तेरे मन में द्विपद अर्थात् दो पैरवाले की चिन्ता है और तू ने अच्छा काम विचारा है उस का लाभ तुझे एक महीने में होगा, भाई तथा सजन मिलेंगे, शरीर में प्रसन्नता होगी और तेरे मनोऽभीष्ट (मनचाहे) कार्य होंगे परन्तु जो तेरा गोत्रदेव है उस की आराधना तथा सम्मान कर, तू माता, पिता, भाई और पुत्र आदि से जो कुछ प्रयोजन चाहता है वह तेरा मनोरथ सिद्ध होगा, इस बात का यह पुरावा है कि-तू ने रात्रि में प्रत्यक्ष में अथवा स्वप्न में स्त्री से समागम किया है।
२१४-हे पूछनेवाले ! जो कुछ तेरा काम बिगड़ गया है अर्थात् जो कुछ नुकसान आदि हुआ है अथवा किसी से जो कुछ तुझे लेना है वा जिस किसी ने तुझ से दगाबाज़ी की है उस को तू भूल जा, यहाँ से कुछ दूर जाने से तुझे लाभ होगा, आज तू ने स्वम में देव को वा देवी को वा कुल के बड़े जनों को वा नदी आदि को देखा है, अथवा सजनों से तेरी मुलाकात हुई है।
२२१-हे पूछनेवाले ! इतने दिनों तक जो कुछ कार्य तू ने किया उस में तुझे बराबर क्लेश हुआ अर्थात् तू ने सुख नहीं पाया, अब तू अपने मन में कुछ कल्याण को चाहता है तथा धन की इच्छा रखता है, तुझे बड़े स्थान (ठिकाने) की चिन्ता है तथा तेरा चित्त चञ्चल है सो अब तेरे दुःख का नाश हुआ और कल्याण की प्राप्ति हुई समझ ले, इस बात की सत्यता का यह प्रमाण है-कि तू स्वप्न में वृक्ष को देखेगा।
२२२-हे पूछनेवाले ! तेरा सजनों के साथ विरोध है और तेरी कुमित्र से मित्रता है, जो तेरे मन में चिन्ता है तथा जिस बड़े काम को तू ने उठा रक्खा - है उस काम की सिद्धि बहुत दिनों में होगी तथा तेरा कुछ पाप बाकी है सो उस का नाश हो जाने से तुझे स्थान (ठिकाने ) का लाभ होगा।
२२३-हे पूछनेवाले ! इस समय तू ने बुरे काम का मनोरथ किया है तथा तू दूसरे के धन के सहारे से व्यापर कर अपना मतलब निकालना चाहता है, सो उस सम्पत्ति का मिलना कठिन है, तू व्यापार कर, तुझे लाभ होगा; परन्तु तू ने जो मन में बुरा विचार किया है उस को छोड़ कर दूसरे प्रयोजन को विचार, इस बात की सत्यता का यही प्रमाण है कि तू स्वम में अपने खोटे दिन देखेगा।
२२४-हे पूछनेवाले ! तेरे मन में परस्त्री की चिन्ता है, तू बहुत दिनों से तकलीफ को देख रहा है, तू इधर उधर भटक रहा है तथा तेरे साथ यहाँ पर लड़ाई आदि बहुत दिनों से चल रही है, यह सब विरोध शान्त हो जावेगा,
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