Book Title: Jain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Author(s): Shreepalchandra Yati
Publisher: Pandurang Jawaji

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Page 714
________________ जैनसम्प्रदायशिक्षा। सूर्यास्त काल साधन । पञ्चाङ्ग में लिखे हुए प्रतिदिन के दिनमान के प्रथम ऊपर लिखी हुई क्रिया से घण्टे; मिनट और सेकिण्ड बना लेने चाहिये, पीछे उन्हें आधा कर देना चाहिये, ऐसा करने से सूर्यास्तकाल हो जावेगा, उदाहरण-कल्पना करो कि-दिनमान ३॥३५ है, इन के घण्टे बनाये तो १२ घण्टे तथा ३८ मिनट हुए, इन का आधा किया तो ६।१९ हुए, बस यही सूर्यास्तकाल हुआ अर्थात् सूर्य के अस्त होने का समय ६ बज कर १९ मिनट पर सिद्ध हुआ, इसी प्रकार आवश्यकता हो तो सूर्यास्तकाल के घंटे आदि को दूना करके घटी तथा पल बन सकते हैं अर्थात् दिनमान निकल सकता है। सूर्योदय काल के जानने की विधि । १२ में से सूर्यास्तकाल के घण्टों और मिनटों को घटा देने से सूर्योदयकाल बन जाता है, जैसे-१२ में से ६।१९ को घटाया तो ५१४१ शेष रहे अर्थात् ५ बजे के ४१ मिनट पर सूर्योदयकाल ठहरा, एवं सूर्योदयकाल के घण्टों और मिनटों को दूना कर घटी और पल बनाये तो २८।२५ हुए, बस यही रात्रिमान है, दिनमान का आधा दिनार्ध और रात्रिमान का आधा रात्रिमानार्ध (राज्य) होता है तथा दिनमान में रात्रिमानार्ध को जोड़ने से राज्यर्ध अर्थात् निशीथसमय होता है, जैसे-१५।४७।३० दिनार्ध है तथा १४।१२।३० रात्रिमानार्ध है, इस रात्रिमानार्ध को (१४।१२।३० को) दिनमान में जोड़ा तो राज्यर्ध अर्थात् निशीथकाल ४५/४७।३० हुआ। । दूसरी क्रिया-६० में से दिनमान को घटा देने से रात्रिमान बनता है, दिनमान में ५ का भाग देने से सूर्यास्तकाल के घण्टे और मिनट निकलते हैं तथा रात्रिमान में ५ का भाग देने से सूर्योदयकाल बनता है, जैसे-३१३५ में ५ का भाग दिया तो ६ लब्ध हुए, शेष बचे हुए एक को ६० से गुणा कर उस में ३५ जोड़े तथा ५ का भाग दिया तो १९ लब्ध हुए, बस यही सूर्यास्तकाल हुआ अर्थात् ६।१९ सूर्यास्तकाल ठहरा, ६० में से दिनमान ३१॥३५ को घटाया तो २८१२५ रात्रिमान रहा, उस में ५ का भाग दिया तो ५।४१ हुए, बस यही सूर्योदयकाल बन गया। ६०० १-स्मरण रहे कि-२४ घण्टे का अर्थात् ६० घटी का अहोरात्र ( दिनरात ) होता है, घटाने की रीति इस प्रकार समझनी चाहिये-3१३५ देखो! ६० में से ३१ को घटाया तो २९ रहे, अब ३५ को घटाना है परन्तु ३५ के ऊपर शून्य है अर्थात् शून्य में से ३५ घट नहीं सकता है तो २९ में से एक निकाला अर्थात् २९ की जगह २८ रक्खा तथा उस निकाले हुए एक के पल बनाये तो ६० हुए, इन में से ३५ को निकाला (घटाया) तो २५ बचे अर्थात् ६० में से ३१॥३५ को घटाने से २८।२५ रहे। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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