Book Title: Jain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Author(s): Shreepalchandra Yati
Publisher: Pandurang Jawaji

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Page 725
________________ पञ्चम अध्याय । खरों में उदित हुए तत्वों के द्वारा वर्षफल जानने की रीति । अभी कह चुके हैं कि-पाँचों तत्वों का ज्ञान हो जाने से मनुष्य होनेवाले शुभाशुभ आदि सब कार्यों को जान सकता है, इसी नियम के अनुसार वह उक्त पाँचों तत्वों के द्वारा वर्ष में होनेवाले शुभाशुभ फल को भी जान सकता है, उस के जानने की निम्नलिखित रीतियाँ हैं: १-जिस समय मेष की संक्रान्ति लगे उस समय श्वास को ठहरा कर स्वर में चलनेवाले तत्व को देखना चाहिये, यदि चन्द्र स्वर में पृथिवी तत्त्व चलता हो तो जान लेना चाहिये कि-ज़माना बहुत ही श्रेष्ठ होगा अर्थात् राजा और प्रजाजन सुखी रहेंगे पशुओं के लिये घास आदि बहुत उत्पन्न होगी तथा रोग और भय आदि की शान्ति रहेगी, इत्यादि । २-यदि उस समय (चन्द्र स्वर में ) जल तत्व चलता हो तो जान लेना चाहिये कि बसीत बहुत होगी, पृथिवी पर अपरिमित अन्न होगा, प्रजा सुखी होगी, राजा और प्रजा धर्म के मार्ग पर चलेंगे, पुण्य, दान और धर्म की वृद्धि होगी तथा सब प्रकार से सुख और सम्पत्ति बढ़ेगी, इत्यादि। ३-यदि उस समय सूर्य स्वर में पृथिवी तत्व और जल तत्त्व चलता हो तो जान लेना चाहिये कि-कुछ कम फल होगा। ४-यदि उक्त समय में दोनों स्वरों में से चाहे जिस स्वर में अग्नि तत्त्व चलता हो तो जान लेना चाहिये कि-बर्सात कम होगी, रोगपीड़ा अधिक होगी, दुर्भिक्ष होगा, देश उजाड़ होगा तथा प्रजा दुःखी होगी, इत्यादि । ५-यदि उक्त समय में चाहे जिस स्वर में वायु तत्व चलता हो तो जान लेना चाहिये कि राज्य में कुछ विग्रह होगा, बर्सात थोड़ी होगी, ज़माना साधा. रण होगा तथा पशुओं के लिये घास और चारा भी थोड़ा होगा, इत्यादि । ६-यदि उक्त समय में आकाश तत्व चलता हो तो जान लेना चाहिये किबड़ा भारी दुर्भिक्ष पड़ेगा तथा पशुओं के लिये घास आदि भी कुछ नहीं होगा, इत्यादि। वर्षफल के जानने की अन्य रीति । १-यदि चैत्र सुदि पड़िवा के दिन प्रातःकाल चन्द्र स्वर में पृथिवी तत्त्व चलता हो तो यह फल समझना चाहिये कि-वर्षा बहुत होगी, ज़माना श्रेष्ठ होगा, राजा और प्रजा में सुख का सञ्चार होगा तथा किसी प्रकार का इस वर्ष में भय और उत्पात नहीं होगा, इत्यादि । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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