Book Title: Jain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Author(s): Shreepalchandra Yati
Publisher: Pandurang Jawaji
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जैनसम्प्रदायशिक्षा।
भेद-कास रोग के पाँच भेद हैं-वातजन्य, पित्तजन्य, कफजन्य, क्षत(घाव) जन्य और क्षयजन्य, इन पाँचों में से क्रम से पूर्व की अपेक्षा उत्तरोत्तर बलवान होता है।
लक्षण-वात के कास रोग में प्रायः हृदय, कनपटी, मस्तक, उदर और पसवाड़े में शूल ( पीड़ा) होता है, मुंह उतर जाता है, बल (शक्ति), स्वर (आवाज) और पराक्रम क्षीण हो जाता है, वारंवार तथा सूखी खांसी उठती है और स्वरभेद हो जाता है ( आवाज बदल सी जाती है)।
पित्त के कास रोग में प्रायः हृदय में दाह (जलन), ज्वर, मुख का सूखना तथा कडुआ रहना, प्यास का लगना, पीले रंग के तथा कडुए वमन का होना, शरीर के रंग का पीला हो जाना तथा सब देह में दाह का होना, इत्यादि लक्षण होते हैं।
कफ के कास रोग में कफ से मुख का लिप्त ( लिसा) रहना, अन्न में अरुचि, शरीर का भारी रहना, कण्ठ में खाज (खुजली) का चलना, वारंवार खांसी का उठना, तथा थूकने के समय कफ की गाँठ गिरना, इत्यादि लक्षण होते हैं।
क्षत (घाव ) के कास रोग में प्रथम सूखी खाँसी का होना, पीछे रुधिर से युक्त थूक का गिरना, कण्ठ में पीड़ा का होना, हृदय में सुई के चुभने के समान पीड़ा का होना, दोनों पसवाड़ों में शूल का होना, सन्धियों में पीड़ा, ज्वर, श्वास, प्यास तथा स्वरभेद का होना, इत्यादि लक्षण होते हैं।
यह क्षतजन्य कास रोग बहुत स्त्रीसंग करने से, भार के उठाने से, बहुत मार्ग चलने से, कुश्ती करने से तथा दौड़ते हुए हाथी और घोड़े आदि के रोकने से उत्पन्न होता है अर्थात् इन उक्त कारणों से रूक्ष पुरुष का हृदय फट जाता है तथा वायु कुपित होकर खांसी को उत्पन्न कर देता है।
क्षय के कास रोग में शरीर की क्षीणता, शूल, ज्वर, दाह और मोह का होना, सूखी खांसी का उठना, रुधिर मांस और शरीर का सूख जाना तथा थूक में रुधिर और कफसंयुक्त पीप का आना, इत्यादि लक्षण होते हैं।
यह क्षयजन्य कास रोग कुपथ्य और विषमाशन के करने से, अतिमैथुन से, मल और मूत्र आदि बेगों के रोकने से, अति दीनता से तथा अति शोक से, अग्नि के मन्द हो जाने से उत्पन्न होता है।
चिकित्सा-१-वायु से उत्पन्न हुई खांसी में-बथुआ, मकोय, कच्ची मूली और चौपतिया का शाक खाना चाहिये, तैल आदि स्नेह दूध, ईख का रस, गुड़ के पदार्थ, दही, कांजी, खट्टे फल, खट्टे मीठे पदार्थ और नमकीन पदार्थ, इन का सेवन करना चाहिये।
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