Book Title: Jain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Author(s): Shreepalchandra Yati
Publisher: Pandurang Jawaji
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जैनसम्प्रदायशिक्षा ।
- यह भी सरण रहे कि-मरोड़ेवाले को अंडी के तेल के सिबाय दूसरा भारी जुलाब कभी नहीं देना चाहिये, यदि कदाचित् किसी कारण से अंडी के तेल का जुलाब न देना हो तो अंडी के तेल में भूनी हुई छोटी हरड़े दो रुपये भर, सोंठ ५ मासे, सोंफ एक रुपये भर, सोनामुखी (सनाय) एक रुपये भर तथा मिश्री पांच रुपये भर, इन औषधों का जुलाब देना चाहिये, क्योंकि यह जुलाब भी लगभग भण्डी के तेल का ही काम देता है।
मरोड़ावाले रोगी को दूध, चावल, पतली घाट, अथवा दाल के सादे पानी के सिवाय दूसरी खुराक नहीं लेनी चाहिये।
बस इस रोग में प्रारंभ में तो येही इलाज करना चाहिये, इस के पश्चात् यदि आवश्यकता हो तो नीचे लिखे हुए इलाजों में से किसी इलाज को करना चाहिये।
१-अफीम मरोड़े का रामबाण के समान इलाज है, परन्तु इसे युक्ति से लेना चाहिये अर्थात् हिंगाष्टक चूर्ण के साथ गेहूँ भर अफीम को मिला कर रात को सोते समय लेना चाहिये। ___ अथवा-अफीम के साथ आठ मानेभर सोये को कुछ सेककर (भूनकर) तथा पानी के साथ पीसकर पीना चाहिये।
यह भी मरण रखना चाहिये कि मरोड़ा तथा दस्त को रोकने के लिये यद्यपि अफीम उत्तम औषध है परन्तु भण्डी का तेल लेकर पेट में से मैल निकाले बिना प्रथम ही अफीम का लेना ठीक नहीं है, क्योंकि पहिले ही अफीम ले लेने से वह बिगड़े हुए मल को भीतर ही रोक देती है अर्थात् दस्त को बन्द कर देती है।
२-ईशबगोल अथवा सफेदजीरा मरोड़े में बहुत फायदा करता है, इस लिये आठ २ आने भर जीरे को अथवा ईशबगोल को दिन में तीन वार दही के साथ लेना चाहिये, यह दवा दस्त की कब्जी किये बिना ही मरोड़े को मिटा देती है ।
३-यदि एक बार भण्डी का तेल लेनेपर भी मरोड़ा न मिटे तो एक वा दो दिन ठहर कर फिर अण्डी का तेल लेना चाहिये तथा उसे या तो सोंठ की उकाली में या पिपरमेंट के पानी में भथवा अदरख के रस में लेना चाहिये, अथवा लाडेनम अर्थात् अफीम के अर्क में लेना चाहिये, ऐसा करने से वह पेट की वायु को दूर कर दस्त को मार्ग देता है।
१-अर्थात् वह जुलाब भी अण्डी के तेल के समान मल को सहज में निकाल देता है तथा कोठे में अपना तीक्ष्ण प्रभाव उत्पन्न नहीं करता है॥ २-यही अर्थात् ऊपर कहा हुआ ॥ ३-अर्थात् दोनों में से किसी एक पदार्थ को दिन में दो तीन बार दही के साथ लेना चाहिये तथा एक समय में आठ आने भर मात्रा लेनी चाहिये ॥ ४-मरोड़े की दूसरी दवाइयां प्रायः ऐसी हैं कि वे मरोड़े को तो मिटाती है लेकिन कुछ दस्त की कब्जी करती है, यह दवा ऐसी नहीं है ।।
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