Book Title: Jain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Author(s): Shreepalchandra Yati
Publisher: Pandurang Jawaji
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चतुर्थ अध्याय ।
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बहुत से लोग प्रातःकाल चाह ( चाय ) आदि पीते हैं उस के स्थान में यदि इसके पीने का अभ्यास किया जाबे तो बहुत लाभ हो सकता है, क्योंकि चाह आदि की अपेक्षा यह सौ गुणा फायदा पहुँचाता है ।
नींबू का बाहिरी उपयोग - नहाने के पानी में दो तीन नींबुओं का रस निचोड़ कर उस पानी से नहाने से शरीर अच्छा रहता है अर्थात् चमड़ी के छिद्र मैल से बंद नहीं होते हैं, यदि बन्द भी हों तो मैल दूर होकर छिद्र खुल जाते हैं तथा ऐसा करने से दाद खाज और फुन्सी आदि चमड़ी के रोग भी नहीं होते हैं।
प्रत्येक मनुष्यको उचित है कि- दाल और शाक आदि नित्य की खुराक में तथा उस के अतिरिक्त भी नींबू को काम में लाया करे, क्योंकि यह अधिक गुणकारी पदार्थ है और सेवन करने से आरोग्यता को रखता है ।
खजुर-पुष्टिकारक, स्वादिष्ट, मीठी, ठंढी, ग्राही, रक्तशोधक, हृदय को हितकारी और त्रिदोषहर है; श्वास, थकावट, क्षय, विष, प्यास, शोष ( शरीर का सूखना) और अम्लपित्त जैसे महाभयंकर रोगों में पथ्य और हितकारक है, इस में अवगुण केवल इतना है कि यह पचने में भारी है और कृमि को पैदा करती है इस लिये छोटे बाल कों को किसी प्रकार की भी खजूर को नहीं खाने देना चाहिये ।
खजूर को घी में तलकर खाने से उक्त दोनों दोष कुछ कम हो जाते हैं ।
गर्मी की ऋतु में खजूर का पानी कर तथा उस में थोड़ा सा अमिली (इमली) का खट्टा पानी डाल कर शर्बत की तरह बनाकर यदि पिया जावे तो फायदा करता है ।
पिण्डखजूर और सूखी खारक ( छुहारा ) भी एक प्रकार की खजूर ही है परन्तु उस के गुण में थोड़ासा फर्क है ।
फालसा, पीलू और करोंदे के फल- ये तीनों पित्त तथा आमवात के नाशक हैं, सब प्रकार के प्रमेह रोग में फायदेमन्द है, उष्ण काल में फालसे का शर्बत सेवन करने से बहुत लाभ होता है, कच्चे फालसे को नहीं खाना चाहिये क्योंकि वह पित्त को उत्पन्न करता है ।
ठंढा और पुष्टिकारक है परन्तु कफ और वायु को उत्पन्न
सीताफल - मधुर,
Star है ।
जामफल- स्वादिष्ट, ठंढा, वृध्य, रुचिकर, वीर्यवर्धक और त्रिदोषहर है परन्तु नीक्ष्ण और भारी है, कफ और वायु को उत्पन्न करता है किन्तु उन्माद रोगी ( पागल ) के लिये अच्छा है ।
१ - इस को पूर्व में सफड़ी तथा अमरूद भी कहते हैं, सब से अच्छा अमरूद प्रयाग ( इलाहाबाद ) का होता है, क्योंकि वहां का अमरूद मीठा, स्वादिष्ठ, अल्प बीजोंवाला और बहुत बड़ा होता है ॥
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