Book Title: Jain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Author(s): Shreepalchandra Yati
Publisher: Pandurang Jawaji
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जैनसम्प्रदायशिक्षा।
कारण ठीक तौर से मलेरिया हवा ही मानी गई है, क्योंकि उस समय में खेतों के अन्दर काकड़ी और मतीरे आदि की वेलों के पत्ते अध जले हो जाते हैं और जब उन पर पानी गिरता है तब वे (पत्ते ) सड़ने लगते हैं, उन के सड़ने से मलेरिया हवा उत्पन्न होकर उस देश में सर्वत्र ज्वर को फैला देती है, तथा यह ज्वर किसी २ को तो ऐसा दबाता है कि दो तीन महीनों तक पीछा नहीं छोड़ता है, परन्तु इस बात को पूरे तौर पर हमारे देशवासी विरले
ही जानते हैं। २-दस्त वा मरोड़ा-इस बात का ठीक निश्चय हो चुका है कि-दस्तों तथा मरोड़े का रोग भी खराबपानी से ही उत्पन्न होता है, क्योंकि-देखो । यह रोग चौमासे में विशेष होता है और चौमासे में नदी आदि के पानी में बरसात से बहकर आये हुए मैले पानी का मेल होता है, इसलिये उस पानी के पीने से मरोड़ा और अतीसार का रोग उत्पन्न हो जाता है। ३-अजीर्ण-भारी अन्न और खराब पानी से पाचनशक्ति मन्द पड़ कर जीर्ण
रोग उत्पन्न होता है। ४-कृमि वा जन्तु-खराब अर्थात् बिगड़े हुए पानी से शरीर के भीतर अथवा
शरीर के बाहर कृमि के उत्पन्न होने का उपद्रव हो जाता है, यह भी जान लेना चहिये कि -स्वच्छ पानी कृमि से उत्पन्न होनेवाले त्वचा के दर्द को मिटाता है और मैला पानी इसी कृमि को फिर उत्पन्न कर देता है। ५-लहरू (वाला)-नहरूं का दर्द बड़ा भयंकर होता है, क्योंकि-इस के र्द से
बहुत से लोगों के प्राणों की भी हानि हो जाने का समाचार सुना गय है, यह रोग खासकर खराब पानी के स्पर्श से तथा विना छने हुए पानी के पीने
से होता है। ६-त्वचा (चमड़ी) के रोग-दाद खाज और गुमड़े आदि रोग होने के कारणों में से एक कारण खराब पानी भी है तथा इस में प्रमाण यही है किजन्तुनाशक औपधोंसे ये रोग मिट जाते हैं और जन्तुओं की उत्पत्ति वेशेषकर खराब पानी ही से होती है। ७-विचिका (हैजा)-बहुत से आचार्य यह लिखते हैं कि-विचित्रा की उत्पत्ति अजीर्ण से होती है, तथा कई आचार्यों का यह मत है कि-इन की उत्पत्ति पानी तथा हवा में रहनेवाले जहरीले जन्तुओं से होती है, परन्तु विचार कर देखा जाये तो इन दोनों मतों में कुछ भी भेद नहीं है, क्योंकिअजीर्ण से कृमि और कृमि से अजीर्ण का होना सिद्ध ही है।
१-इम बात का अनुभव तो बहुत से लोगों को प्रायः हुआ ही होगा ॥ २-जांगल श का पानी लगने से जो रोग होता है उस को “पानीलगा" कहते हैं.॥ ३-मारवाड़ देशवे ग्रामों में सह रोग प्रायः देखा जाता है, जिस का कारण ऊपर लिखा हुआ ही है ॥ ४-इस बात को गुजरात देशवाले बहुत से लोग समझते हैं ।
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