Book Title: Jain Sampraday Shiksha Athva Gruhasthashram Sheelsaubhagya Bhushanmala
Author(s): Shreepalchandra Yati
Publisher: Pandurang Jawaji
View full book text
________________
चतुर्थ अध्याय
१९५
उस पुष्टिकारक खुराक के अनुकूल ही शरीर को श्रम देवें, क्योंकि ऐसा करने से अधिक हानि का संभव नहीं रहता है, परन्तु यह भी स्मरण रखना चाहिये कि - सदा एक ही प्रकार की खुराक को खाते रहना भी अति हानिकारक होता है ।
खुराक ऐसी खानी चाहिये कि जिस में शरीर के पोषण के सब तत्व यथायोग्य मौजूद हों, अपने लोगों की खुराक सामान्य रीति से इन सब तत्वों से युक्त होती है क्योंकि शुद्ध अन्न और दाल आदि पदार्थों में शरीर के पोषण के आवश्यक तत्व मौजूद रहते हैं, परन्तु प्राणिजन्य खुराक अर्थात् घी मक्खन और मांस आदि पदार्थों में आटे के सत्ववाला तत्व अर्थात् गर्मी को कायम रखनेवाला तत्व बिल - कुल नहीं होता है, हां इस प्रकार की ( प्राणिजन्य ) खुराक में केवल दूध ही सब तत्वों से युक्त है, इसी लिये अकेले दूध से भी बहुत दिनों तक मनुष्य का निर्वाह हो सकता है ।
घी में केवल चरबीवाला तत्व है, परन्तु उस में पौष्टिक आटे के सत्ववाला तथा क्षारक तत्व बिलकुल नहीं है, चावलों में बहुत सा भाग आटे के सत्वका है और पौष्टिक तत्व प्रति सैकड़े पांच रुपये भर ही है, इसी लिये अपने लोगों में भात के साथ दाल तथा घी खाने का आम ( सामान्यतया ) प्रचार है ।
बालकों के लिये चरबीवाले तत्व से युक्त तथा अति पौष्टिक तत्व से युक्त खुराक उपयोगी नहीं है, किन्तु उन के लिये तो चाँवल दूध और मिश्री आदि की खुराक बहुत अनुकूल हो सकती है, क्योंकि इन सब पदार्थों में पौष्टिक तत्व बहुत कम है और गर्मी लानेवाला तत्व विशेष है और बालकों को ऐसी ही खुराक की आवश्यकता है, गेहूँ में चरबी का भाग बहुत कम है इस लिये गेहूँ की रोटी में अच्छी तरह घी डाल कर खाना चाहिये, बाजरी तथा ज्वार में यद्यपि चरबी का भाग आवश्यकता के अनुसार मौजूद है तथा पौष्टिक तत्व गेहूँ की अपेक्षा कम है तथापि इन दोनों पदार्थों से पोषण का काम चल सकता है, अन्नों में उड़द सब से अधिक पौष्टिक है इसलिये शीत ऋतु में पौष्टिक तत्ववाले उड़द के आटे के साथ गर्मी देनेवाला घी तथा मिश्री का योग कर खाना बहुत गुणकारक है, गर्म देश में नाज़ी शाक तरकारी फायदा करती है, अपना देश गर्म है इस लिये यहां के निवासियों को ताज़ी वनस्पति फायदा करती है, इसी कारण से शीत ऋतु की अपेक्षा उष्ण ऋतु में उस ( ताज़ी वनस्पति) के विशेष सेवन करने की आवश्यकता होती है, चरबीवाले और चिकनासवाले भोजन में नींबू की खटाई और थोड़ा बहुत मसाला अवश्य डालना चाहिये ।
१- यह बहुत ही उत्तम प्रचार है, क्योंकि दाल से पौष्टिक तत्व पूरा हो जाता है और दाल मैं नमक के होने से चावलों में क्षार की जो न्यूनता है वह भी पूरी हो जाती है और घी से चरबीवाला तत्व भी मिल सकता है ॥
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com