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[ बयालीस ]
जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड ३ (पद्मचरित) को, विंश अध्याय में जटासिंहनन्दिकृत वराङ्गचरित को, एकविंश अध्याय में पुन्नाटसंघीय जिनसेनरचित हरिवंशपुराण को, द्वाविंश अध्याय स्वयम्भू-निर्मित पउमचरिउ को, त्रयोविंश अध्याय में हरिषेण-प्रणीत बृहत्कथाकोश को, चतुर्विंश अध्याय में छेदपिण्ड, छेदशास्त्र एवं प्रतिक्रमण-ग्रन्थत्रयी को और पंचविंश अध्याय में बृहत्प्रभाचन्द्रकृत तत्त्वार्थसूत्र को दिगम्बरग्रन्थ सिद्ध किया गया है।
इस खण्ड के अन्त में भी शब्दविशेष- सूची तथा प्रयुक्त ग्रन्थों एवं शोधपत्रिकाओं की सूची निबद्ध की गयी हैं।
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