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जैन बौद्ध तत्वज्ञान। - ... Page 350-351 Bliss is Nibhan, Nibhan highest bliss ( Dhamma pada )
__ आनन्द निर्वाण है, मानन्द निर्वाण है, निर्वाण परम सुख है ऐसा धम्मपदमें यह बात ग्रिम साहबने अपनी पुस्तक बुद्ध शिक्षाने लिखी है।
Some sayings of Budha-by Woodword Ceylon 1925. ___ Page 2-1-4 Search after the unsurpassed perfect security which is Nibban. Goal is incomparable security which has Nibbạn.
अनुपम व पूर्ण शरणकी खोज करो, यही निर्वाण है। अनुपम शरण निर्वाण है, ऐसा उद्देश्य बनाओ। यह बात वुडवर्ड साहबने अपनी बुद्धवचन पुस्तकमें लिखी है ।
The life of Budha by Edward J. Thomas 1927.
Page 187-It is unnecessary to discuss the View that Nirvan macans the extinction of the individual, no such Via bas ever been supported from the texts, - भावार्य-यह तर्क करना व्यर्थ है कि निर्वाणमें व्यक्तिका नाच
है, बौद्ध ग्रंथों में यह बात सिद्ध नहीं होती है। .. मैंने भी जितना बौद्ध साहित्य देखा है उससे निर्वाणका रदी स्वरूप झलकता है जैसा जैन सिद्धांतने माना है कि वह एक बन भवगम्य अविनाशी मानंदमय परमशांत पदार्थ है।
जैन सिद्धांतमें भी मोक्षमार्ग सम्यक्दर्शन, सम्यग्ज्ञान व सम्बचारित्र तीन कहे हैं, जो बोद्धोंके अष्टांग मार्गमे मिल जाते हैं। सम्यक्दर्शनमें सम्यक्दर्शन गर्मित है, सम्यग्ज्ञानमें सम्यक् संकल गर्भित है, सम्यकचारित्रमें शेष छ: गर्मित है। जैनसिद्धांतमें निश्रय सम्मकूचारित्र भात्मध्यान व समाषिको कहते है । इसके लिये नौ
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