________________
जैन बौद्ध तत्वज्ञान |
फूलचंद सु वकील हैं, दास विशंभर जान । गोकुळचंद सुगजते, देवकुमार इत्यादिकके साथमें, सुखसे काळ वर्षाकाळ विताइयो, आतम
उरमें
૧૯૩
शब्द
(१) अचेलक चूल जसपुर सूत्र
(२) अदजादान चूल सकुरदायो
सुजान ॥ १२॥
बिताय ।
बुद्ध धर्मका ग्रंथ कुछ पढार चित हुलसाय । जैन धर्मके तत्वसे मित्रत बहुत सुखदाय ॥ १३॥ सार तच्च खोजीनके, हित यह ग्रन्थ बनाय । पढ़ो सुनो रुचि धारके, पात्रो सुख अधिकाय ॥१४॥ - मंगल श्री जिनराज हैं, मंगल सिद्ध महान । आचारज पाठक परम, साधु नमूं सुख खान ॥१४॥ - कार्तिक वदि एकम दिना, शनीवारके प्रात । ग्रंथ पूर्ण सुखसे किया, हो जगमें विख्यात ॥ १५ ॥
भाय ॥ १२॥
बौद्ध जैन शब्द समानता ।
सुत्तपिटकके मज्झिमनिकाय हिन्दी अनुवाद त्रिपिटिकाचार्य राहुल सांकृत्यायन कृत ( प्रकाशक महाबोर सोसायटी सारनाथ बनारस सन् १९३३ से बौद्ध वाक्य लेकर जैन ग्रंथोंसे मिळान ) । बौद्ध ग्रन्थ जैन ग्रन्थ
सूत्र ७९
नीतिसार इंद्रनंदिकृत श्लोक ७५ तत्वार्थ उपास्वामी म० ७
सूत्र १५
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com