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- मौन बैद तत्वज्ञान । २०७ तब सारिपुत्रने कहा-मावुस भानन्द रमणीय है । गोसिंग सालवन चांदनी रात है। सारी पातियों में साल फूले हुए हैं। मानो दिव्य गंध बह रही है। भावुस आनन्द ! किस प्रकारके भिक्षुसे यह गोसिंग सालवन शोभित होगा !
- (१) आनन्द कहते हैं-जो मिक्षु बहुश्रुत, श्रुतघर, श्रुतसंयमी हो, जो धर्म धादि मध्य अन्तमें कल्याण करनेवाले, सार्थक, सव्यंजन, केवल, परिपूर्ण, परिशुद्ध, ब्रह्मचर्यको बखाननेवाले हैं। वैसे धर्माको उसने बहुत सुना हो, धारण किया हो, वचनसे परिचय किया हो, मनसे परखा हो, दृष्टि (साक्षात्कार ) में धंसा लिया हो, ऐसा भिक्षु चार प्रकारकी परिषदको सर्वोगपूर्ण, पद व्यंजन युक्त स्वतंत्रता पूर्वक धर्मको अनुशयों (चित्रमलों ) के नाशके लिये उपदेशे। इस प्रकारके भिक्षु द्वारा गोसिंग सालवन शोभित होगा । - तब सारिपुत्रने रेवतसे पूछा-यह वन कैसे शोभित होगा ?
(२) रेवत कहते हैं-भिक्षु यदि ध्यानरत, ध्यानप्रेमी होवे, अपने भीतर चित्तकी एकाग्रतामें तत्पर और ध्यानसे न हटने वाला, विवश्यना (साक्षात्कारके लिये ज्ञान) से युक्त, शून्य ग्रहोंको बढ़ानेचाला हो वे इस प्रकारके भिक्षु डा। गोसिंग सालवन शोभित होगा।
तब सारिपुत्रने अनुरुद्धसे यही प्रश्न किया।
(३) अनुरुद्ध कहते हैं-जो भिक्षु अमानव (मनुष्यसे भगोचर) दिव्यचक्षुसे सहस्रों लोकोंको अवले कन करे। जैसे आंखवाला पुरुष महलके ऊार खड़ा सहस्रों चक्कों समुदायको देखे, ऐसे भिक्षुसे यह वन शोभित होगा।
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