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अंत तक का इतिहास है; और दूसरे भाग में मौर्य साम्राज्य के अंत से लेकर गुप्त साम्राज्य के पहले तक का इतिहास आता है। इसी लिये यह ग्रंथ भी दो खंडों में बाँटा गया है; और प्रत्येक खंड में उस समय की राजनीति, समाज, धर्म, संपत्ति, साहित्य, शिल्प-कला आदि का वर्णन यथासंभव विस्तारपूर्वक किया गया है। बौद्ध काल के दो विभाग इसलिये किये गये हैं कि पहले विभाग की राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक दशा से दूसरे विभाग की राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक दशा में बड़ा
अंतर आ गया था। ___ इस ग्रंथ का उद्देश्य केवल उस समय के राजाओं और उनके कार्यों का ही वर्णन करना नहीं, बल्कि पाठकों के सामने तत्कालीन भारत के समाज, सभ्यता, साहित्य, शिल्प-कला आदि का चित्र रखना भी है। उस समय की राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, साहित्यिक और शिल्प-कला संबंधी दशा कैसी थी, यह पाठकगण इस ग्रंथ से जान सकते हैं। इस ग्रंथ के लिखने में अपनी कल्पना से बहुत कम काम लिया गया है और कोई निराधार बात नहीं लिखी गई है। बौद्ध काल के संबंध में दूसरे लेखकों ने समय समय पर जो बातें लिखी हैं, और जो अब तक हमारे देखने आई हैं, उन्हीं को हमने इस ग्रंथ में एकत्र करने का प्रयत्न किया है। जहाँ जहाँ जिस लेखक या ग्रंथ से सहायता ली गई है, वहाँ वहाँ उसका उल्लेख भी कर दिया गया है। इस ग्रंथ के लिखने में जिन लेखों और ग्रंथों से सहायता ली गई है, उन की एक सूची भी पुस्तक के प्रारंभ में दे दी गई है। ___ अंत में हम प्रयाग विश्वविद्यालय के इतिहासाचार्य प्रोफेसर
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