Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयबोधिनी टीका प्र. पद १ सू.८ रूपी अजीच प्रज्ञापना णता अपि२। रसतस्तिक्तरसपरिणता अपि१, कटुकरसपरिणता अपि१, कषाय. रसपरिणता अपि३, अम्लरसपरिणता अपि४, मधुररसपरिणता अपि ५। स्पर्शतो गुरुकस्पर्शपरिणता अपि१, लघुकस्पर्शपरिणता अपि२, शीतस्पर्शपरिणता लालवर्ण परिणामवाले भी (हालिद्दघण्णपरिणया वि) पीले वर्ण परिणामयाले भी (सुक्किल्लवण्णपरिणया वि) श्वेतवर्ण परिणाम वाले भी होते हैं।
(गंधओ) गंध की अपेक्षा से (सुन्भिगंधपरिणया वि) सुगंध परिणाम वाले भी (दुन्मिगंधपरिणया वि) दुर्गध परिणाम वाले भी होते हैं।
(रसओ) रस की अपेक्षा से (तित्तरसपरिणया वि) तिक्तरस परिणाम वाले भी (कड्डयरसपरिणया वि) कटुकरस परिणाम वाले भी (कसायरसपरिणया वि) कषायरस परिणाम वाले भी (अंबिलरसपरिणया पि) आम्ल-खट्टे रस परिणाम वाले भी (महुररसपरिणया वि) मधुररस परिणाम वाले भी होते हैं। ___(फासओ) स्पर्श की अपेक्षा से (गरुयफासपरिणया वि) गुरु स्पर्श परिणमनयाले भी (लहुयफासपरिणया वि) लघु स्पर्श परिणमनवाले भी (सीयफासपरिणया वि) शीत स्पर्श परिणमनयाले भी (उसिणफासपरिणया वि) उष्ण स्पर्श परिणमनवाले भी (णिद्धफासपरिणया वि) स्निग्ध स्पर्श परिणमनवाले भी (लुक्खफासपरिणया वि) रूक्ष स्पर्श परिणमनवाले भी होते हैं। पाणi पY छ. (हालिदवण्णपरिणया वि) पी॥ २॥ ५२मni ५४ छ. (सुक्किल्लवण्णपरिणया वि) श्वेत १४ परिणामपण. पण मन छे..
(गंधओ) धनी अपेक्षाये (सुब्मिगंधपरिणया वि) सुगधपरिमाणां ५५ डाय छे. (दुब्भिगंधपरिणया वि) हुन् । ५२माण ५ ने छे.
(रसओ) २सनी अपेक्षाये (तित्तरसपरिणया वि) तित २४ परिणाम ५७५ डाय छे. (कडुयरसपरिणया वि) ४७१॥ २सना ५२मni ५५ उय छे. (कसायरसपरिणया वि) पाय २सना परिणामवाण ५५ डाय छे. (अंबिलरस परिणया वि) ॥८॥ २सन परिमाण ५७ ।य छे. (महुररसपरिणया वि) મધુર રસ પરિણામવાળાં પણ હોય છે.
(फासओ) २५शनी अपेक्षाये (गरुयफासापरिणया वि) २३ २५ परिणाम पाmi 4 (लहुयफासपरिणया वि) सधु २५श परिणामा ५९ (सीयफास परिणया वि) शीत २५ परिमाणां ५५ (उसिणफासपरिणया वि) [] २५०० परिणामवाण ५७५ (णिद्धफासपरिणया वि) स्निग्ध २५ परिणामवाणi ५ (लुक्खफासपरिणया वि) ३६ २५ परिणामा ५९] मने छ.
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧