Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रज्ञापनासूत्रे
ग्रैवेयका नवविधाः प्रज्ञप्ताः, तयथा - अधस्तनाधस्तन ग्रैवेयकाः १, अधस्तन मध्यमग्रैवेयकाः २, अधस्तनोपरितनयैवेयकाः ३, मध्यमाधस्तनग्रेवेयकाः ४, मध्यममध्यमग्रैवेयकाः ५, मध्यमोपरितनग्रैवेयकाः ६, उपरितनाधस्तत्रैवेयका, ७, उपरितनमध्यमग्रैवेयकाः ८, उपरितनोपरितनग्रैवेयकाः ९ । ते समासतो द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा - पर्याप्तकाश्च, अपर्याप्तकाश्च । ते एते ग्रैवेयकाः २ । अथ के ते अनु
कल्पातीत कितने प्रकार के हैं । (दुविहा पण्णत्ता) दो प्रकार के कहे हैं ( तं जहा ) वे इस प्रकार (गेविजगा य अणुतरोववाइया य) ग्रैवेयक और अनुत्तरोपपातिक (से किं तं गेविजगा) ग्रैवेयकदेव कितने प्रकार के हैं ? ( नवविहा पण्णत्ता) नौ प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (हिडिम हिडियगेविज्ञगा) अधस्तन - अघस्तनग्रैवेयक (हिट्टियमज्झिमगेविज्जगा) अधस्तन मध्यम ग्रैवेयक (हिडिय उवरिमगेविज्जगा) अधस्तन उपरितन ग्रैवेयक (मज्झिम हेट्ठिमगेविज्जगा मध्यम-अधस्तनग्रैवेयक (मज्झिममज्झिमगेविज्जगा) मध्यम - मध्यम ग्रैवेयक (मज्झिमउचरिमगेविज्जगा) मध्यम-उपरितनयैवेयक (उबरिम हेडिमगेविज्जगा) उपरितन - अधस्तनग्रैवेयक (उयरिम-मज्झिमगेविज्जगा) उपरितनमध्यम ग्रैवेयक ( उवरिम-उवरिमगेविज्जगा) उपरितन - उपरितन-यैवे. यक (ते समासओ दुविहा पण्णत्ता) वे संक्षेप से दो प्रकार के कहे हैं (तं जहा ) यह इस प्रकार (पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य) पर्याप्तक और
(à fà à gra§ur ?) kerala ŝzai uxırqid? (gfører qomaI) थे प्रहारना उह्या छे (तं जहा) तेथे या प्रारे (गेविज्जगा य अणुत्तरोवबाइया य) ग्रैवेयङ द्वेव भने अनुत्तरौपयात्ति
(से किं त ं गेविज्जगा) ग्रैवेय देव डेटा प्रहारना छे ? (नवबहा पण्णत्ता) नौ प्रारना उद्या छे (तं जहा ) तेथे भा प्रारे (हिट्टिम हिट्ठिमगेविज्जगा) अधस्तन-अधस्तन ग्रैवेय (हिडिममज्झिमगेविज्जगा) अधस्तन मध्यम ग्रैवेय (हिट्ठिमउवरिमगेविज्जगा) अधस्तन उपस्तिन यैवेय (मज्झिम हेट्ठिमगेबिज्जगा) मध्यभ अघस्तन ग्रैवेय (मज्झिममज्झिमगेविज्जगा) मध्यम मध्यम ग्रैवेय (मज्झिमउवरिमगेविज्जगा) भध्यभ उपरितन चैवेय ( उपरिम हेट्ठिमगेविज्जगा) उपरितन अधस्त ग्रैवेय' (उवरिम- मज्झिम गेविज्जगा) उपरितन मध्यम ग्रैवेय ( उपरिम उवरिम गेविज्जगा) उपस्तिन उपस्तिन ग्रैवेय (ते समासओ दुबिहा पण्णत्ता) तेथे। सक्षेत्रे उरीने में अहारना उद्या छे (त' जहा) तेथे मा रीते (पज्जत्तगा य अप
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧