Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयबोधिनी टीका द्वि. पद २ सू.२२ ज्योतिष्कदेव स्थानानि विंशतिविधाः, नक्षत्र देवगणा नानासंस्थानसंस्थिताः, पञ्चवर्णाः तारकाः, स्थितलेश्याः, चारिणः अविश्राममण्डलगतिकाः, प्रत्येकनामाङ्क प्रकटितचिह्नमुकुटाः महर्टिकाः, यावत् प्रभासयन्तः, ते खलु तत्र स्वेषां स्वेषां विमानावासशतसहस्राणाम् स्वेषां स्वेषां सामानिकसहस्राणाम् स्वासां स्वासाम् अग्रमहिषीणाम् सपरिवाराणाम्, स्वासां स्वासां पर्षदाम्, स्वेषां स्वेषाम् अनीकानाम्, स्वेषाम् स्वेषाम् अनीकाधिपतीनाम्, स्वासां स्वासाम् आत्मरक्षकदेवसाहस्रीणाम्, अन्येषाश्च बहूनां ज्योतिगति करते हैं (केऊ य गइरइया) और गति में रत रहने वाला केतु (अट्ठावीसइविहा) अट्ठाईस प्रकार के (नक्खत्तदेवतगणा) नक्षत्र देवों का समूह (णाणा संठाणसंठियाओ) अनेक आकारों वाले (पंचवण्णओ) पांच वर्षों के (तारयाओ) तारे (ठियलेस्सा) स्थित लेश्या वाले (चारिणो) चलने वाले (अविस्साम मंडलगई) विना रुके मंडलगति वाले (पत्तेयनामंकपगडियचिंधमउडा) प्रत्येक के मुकुट में अपने नाम का चिह्न प्रकट है (महिडिया) महान् ऋद्धि के धारक (जाव पभासे. माणा) यावत् प्रभासित होते हुए (ते णं) वे (तत्थ) वहां (साणं साणं) अपने अपने (विमाणावाससयसहस्साणं) लाखों विमानों का (साणं साणं सामाणिय साहस्सीणं) (अपने-अपने हजारों सामानिकों का (साणं साणं अग्गमहिसीणं) अपनी-अपनी अग्रमहिषियों का (सपरिवाराणं) परिवार सहित का (साणं साणं परिसाणं) अपनीअपनी परिषदों का (साणं साणं अणियाणं) अपने-अपने अनीकों का (साणं साणं अणियाहिवईणं) अपने-अपने अनीकाधिपतियों का क्षेत्रमा (चारं चरंति) गति ४३छे (केऊय गइरइया) अने गतिमा २१ २२१॥ पाणी तु (अट्ठावीसइविहा) २५४यावीस प्र४।२ना (नक्खत्तदेवतागणा) नक्षत्र हेवाना समूड (णाणासंठाण संठियाओ) मने रोषणा (पंचवण्णाओ) पाय पनि (तारयाओ) ताराम (ठियलेस्सा) स्थित वेश्यावा (चारिणो) यास। १॥ (अविस्साममंडलगई) २।४५ सिवायनी भ गतिवा (पत्तेयनामंक पागडियचिंधमउडा) प्रत्ये४ना भुटमा यातपाताना नामना यिह प्रगट छ (महिहढिया) महान ३ घा२४ (जाव पभासेमाणा) यावत मासित थता (तेणं) ते। (तत्थ) त्यां (साणं साणं) पातपाताना (विमाणावाससयसहस्साणं) साये। विमानाना (साणं साणं सामाणियसाहस्सीणं) पातपाताना ॥॥ सामानिडाना (साणं साणं अग्गमहिसीगं) पातपातानी ममाडिषियोना (सपरिवाराणं) परिवार सायना (साणं साणं परिसाणं) पातपातानी परिषहाना (साणं साणं अणियाण) पातपातानी मीना (साणं साणं अणियाहिवईणं) पातपाताना मनीstha
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧