Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 880
________________ imana mam ८६६ प्रज्ञापनासूत्रे वेमागिया देवा परिवसंति' तत्र खलु-बहवो वैमानिका देवाः परिवसंति, 'तं जहा' तद्यथा 'सोहम्मीसाणसणंकुमारमहिंदबंभलोगलंतगमहासुक्कसहस्सार आणयपाणयआरणच्चुयगेवेजाणुत्तरोववाइयादेवा' सौधर्मेशानसनत्कुमारमाहेन्द्रब्रह्मलोकलान्तकमहाशुक्रसहस्रारानतप्राणतारणाच्युतप्रैवेयकानुत्तरौपपातिका देवाः, द्वादशसौधर्मादयः, भद्रसुभद्रादयो नवग्नैवेयकाः, पञ्च विजयवैजयन्त जयन्तादयोऽनुत्तरौपपातिका षडूविंशतिविधा देवा इत्यर्थः, ते किं विशिष्टा इत्याह-'तेणं मिगमहिसवराहसीहछगलददुर हयगयवइभुयगखग्गउसमविडिमपागडियचिंधमउडा' ते खलु-उपर्युक्त वैमानिका देवाः मृगमहिषवराहसिंहच्छगलदर्दरहयगजपतिभुजगखड्गवृषभविडिमप्रकटितचिह्नमुकुटाः सन्ति मृगादि विडिमान्तं प्रकटितं स्पष्टं चिहूनं मुकुटे येषां ते तथाविधा इत्यर्थः, तत्र सौधर्मदेवाः मृगरूपप्रकटितचिह्नमुकुटाः, ईशानदेवाः महिषरूपप्रकटितचिह्नमुकुटाः, सनत्कुमारादेवाः वराहरूपप्रकटितचिह्नमुकुटाः, माहेन्द्रदेवाः, सिंहरूपप्रकटितचिहमुकुटाः, ब्रह्मलोक देवाइ छगलरूपप्रकटितचिह्नमुकुटाः, लान्तकदेवा दर्दुररूपभाग में हैं। इन स्थानों में बहुसंख्यक वैमानिक देव निवास करते हैं । वे इस प्रकार हैं-सौधर्म, ऐशान, सनत्कुमार. माहेन्द्र, ब्रह्मलोक, लान्तक, महाशुक्र, सहस्रार, आनत, प्राणत, आरण, अच्युत, ग्रैवेयक तथा अनुत्तरोपपातिक, अर्थात् बारह सौधर्म आदि देवलोक नौ ग्रैवेयक तथा पांच विजय, वैजयन्त, जयन्त, अपराजित, और सर्वार्थसिद्ध आदि अनुत्तरोपपातिक । इन देवों के मुकुट में विभिन्न प्रकार के चिह्न बने हुए हैं, जो इस प्रकार हैं-सौधर्म देवों के मुकुट में मृग का चिह्न, ऐशान देवों के मुकुट में महिष (भैंसा) का चिह्न, सनत्कुमार देवों के मुकुट में वराह (शकर) का चिह्न, माहेन्द्र देवों के मुकुट में सिंह का चिह्न, ब्रह्मलोक देवों के मुकुट में छगल (बकरे) का चिह्न, ભાગમાં છે. આ સ્થાનમાં બહુ સંખ્યક વૈમાનિક દેવો નિવાસ કરે છે. તેઓ मा ४२ जे-सीधम शान, सनमा२, माउन्द्र, ब्रह्मयो, सान्त, माशु, ससा२, मानत, प्राणत, २।२९, मयुत, अवेयर तथा अनुत्तरी५५ति, અર્થાત્ બાર સૌધર્મ આદિ દેવલેક નીવેયક તથા પાંચ વિજય વૈજ્યન્ત, જયન્ત, અપરાજિત અને સર્વાર્થ સિદ્ધ આદિ અનુત્તરૌપપાતિક. આ દેના મુગટમાં વિભિન્ન પ્રકારના ચિહ્ન બનેલા હોય છે, જે આ પ્રકારે છે-સીધર્મ દેના મુગટમાં મૃગનું ચિહ્ન, અશાન દેવના મુગટમાં મહિષ (પડે), નું ચિહ, સનસ્કુમાર દેવના મુગટમાં વરાહ (ભુંડ) નું ચિહ્ન, મહેન્દ્ર દેવના મુગટમાં સિંહનું ચિહ્ન બ્રહ્મલેક દેવેના મુગટમાં બકરાનું ચિહ્ન લાન્તક દેના મુગટમાં દેડકાનું ચિહ્ન, મહાશુકદેવના મુગટમાં ઘેડાનું ચિ, સહસ્ત્રાર દેવના મુગટમાં શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧

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