Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 971
________________ प्रमेयबोधिनी टीका द्वि. पद २ सू.२७ ब्रह्मलोकादिदेवानां स्थानादिकम् ९५७ 'बत्तीस अट्ठवीसा बारस अट्ठचउरो' द्वात्रिंशद् अष्टाविंशतिः, द्वादश अष्टचत्वारि, 'सयसहस्सा' शतसहस्राणि, 'पन्नाचत्तालीसा' पश्चाशत् चत्वारिंशद् 'छच्चसहस्सा सहस्सारे' षट्च सहस्राणि सहस्रारे ॥१४६॥ 'आणयपाणय कप्पे' आनत. प्राणतकप्पे' आनतप्राणतकल्पे 'चत्तारि सयाऽऽरणच्चुए तिन्नि' चखारि शतानि, आरणाच्युतयोस्त्रीणि शतानि 'सत्त विमाणसयाई चउसु वि एएमु कप्पेसु' सप्त विमानशतानि चतुर्वपि एतेषु-उपर्युक्तेषु आनतप्राणतारणाच्युतेषु कल्पेषु भवन्ति इत्याशयः, 'सामाणियसंगहणीगाहा' अथ सामानिकसंग्रहणीगाथामाह'चउरासीई असीई बावत्तरी सत्तरी य सट्ठी य' चतुरशीतिः सामानिकसहस्राणि सौधर्मेन्द्रस्य, अशीतिः सामानिकसहस्राणि ईशानेन्द्रस्य, द्वासप्ततिः सामानिकसहस्राणि सनत्कुमारेन्द्रस्य, सप्ततिश्च सामानिकसहस्राणि माहेन्द्रदेवराजस्य, पष्टिश्च सामानिकसहस्राणि ब्रह्मलोकेन्द्रस्य, 'पना चत्तालीसा तीसा वीसा दससहस्सा' पञ्चाशत् सामानिकसहस्राणि लान्तकेन्द्रस्य, चत्वारिंशत् सामानिकसहस्राणि महाशुक्रेन्द्रस्य, त्रिंशत् सामानिकसहस्त्राणि सहस्रारेन्द्रस्य, विंशतिः सामा निकसाहस्राणि आनतप्राणतेन्द्रस्य, दश सामानिकसहस्राणि आरणाच्युतेन्द्रस्य, कहते हैं-बत्तीस लाख, अट्ठाईस लाख, बारह लाख, आठ लाख, चार लाख, पचास हजार, चालीस हजार और छह हजार सहस्रार कल्प में, आनत-प्राणत कल्प में चार सौ तथा आरण-अच्युत कल्प में तीन सौ विमान हैं । इन अन्तिम चार कल्पों में सात सौ विमान होते हैं । यह अनुक्रम से बारह कल्पों की विमान संख्या है। . अब सामानिक देवों की संग्रहणी गाथा कहते हैं-सौधर्मकल्प में चौरासी हजार, ईशान कल्प में अस्सी हजार, सनत्कुमार कल्प में बहत्तर हजार, माहेन्द्र कल्प में सत्तर हजार, ब्रह्मलोक में साठ हजार, लान्तक में पचास हजार, महाशुक्र में चालीस हजार, सहस्रार में तीस हजार, आनत-प्राणत में वीस हजार, और आरण-अच्युत में दस હવે બારે કલ્પના વિમાનની સંખ્યાની સંગ્રહણી ગાથાઓ કહે છેसत्रीसलाम, २४यावीसा, मासास, 24156101, यासास, पयास १२, ચાલીળ હજાર અને છ હજાર, સહસ્ત્રાર કપમાં, આનત પ્રાણત કપમાં ચાર સે તથા આરણ—અય્યત કપમાં ત્રણ વિમાન છે આ અતિમ ચાર કપમાં સાતસે વિમાન હોય છે. આ અનુકમથી બાર કલાની વિમાન સંખ્યા છે. - હવે સામાનિક દેવેની સંગ્રહણી ગાથા કહે છે-સીધમ કલ્પમાં ચોરાસી હજાર, ઈશાન કપમાં એંસી હજાર, સનસ્કુમાર કપમાં તેર હજાર; મહેન્દ્ર કપમાં સત્તર હજાર, બ્રહ્મસેકમાં સાઠ હજાર, લાન્તકમાં પચાસ હજાર, મહા શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧

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