Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रज्ञा
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प्रज्ञापनासूत्रे १निम्बाऽऽम्र२ जम्बू३ कोशाम्र४ शालां५ऽकोठाः६ पीलुः७ शेलु:८ । शल्लकी९ मोचकी १० मालुकौ ११ बकुलः१२ पलाशः१३ करञ्जच१४ ॥२। पुन जीवका १५ ऽरिष्टौ १६ बिभीतकः १७ हरीतकश्च १८ भल्लातकः १९। उम्भरिका २० क्षीरिणी २१ बोद्धव्यः धातकी २२ प्रियालः २३ ॥३॥ पूति निम्ब २४ करञ्जौ २५ स्नुही (श्लक्ष्णा) २६ तथा शिंशपा २७ च अशनश्च २८ । पुंनाम २९ नाग ३० वृक्षो श्रीपर्णी ३१ तथा अशोकच ३२ ॥४॥ ये चान्ये तथा प्रकारा एतेषां खलु मूलान्यपि असंख्येयजीवकानि, कान्दा अपि, स्कन्धा
शब्दार्थ-(से किं तं रुक्खा ) ? वृक्ष कितने प्रकार के हैं ? (रुक्खा ) वृक्ष (दुविहा) दो प्रकार के (पण्णत्ता) कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार (एगठिया य) एक बीज चाले और (बहुबोयगा य) बहुत बीजों वाले (से किं तं एगठिया) एक बीज वाले कितने प्रकार के हैं ? (अणेगविहा) अनेक प्रकार के (पण्णत्ता) कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार हैं (णिय) नीम (अंब) आम (जंयु) जामुन (कोसंम) कोशम्ब (साल) शाल (अंकुल्ल) अखरोट (पीलू) पीलु (सेलूय) शेलु (सल्लइ) सल्लकी (मोयइ) मोचकी मालय (मालूक) (वउल) बकुल (पलास) पलाश (करंजे) करंज (पुत्तंजीवय) पुत्रजीवक (अरिट) अरिष्ट (विहेलए) बहेडा (हरिडएय) हरड (मिल्लाए) भिलाचा (उबेभरिया) उम्बेभरिका (खीरिणि) क्षीरणी (बोद्धव्ये)जानना चाहिए (धायइ) धात की (पियाले) प्रियाल (पूइयनिंब) पूतिकनिम्ब (करंज) करञ्ज (सुण्हा) श्लक्ष्णा (तह) तथा (सीसवा) शिशपा-सीसम (असणे) असन (पुंनाग) 'नाग (नागरुक्खे) नागवृक्ष
शा-(से कि त रुक्खा) वृक्ष 240 २॥ ? (रुक्खा ) वृक्ष (दुविहा) मे २ना (पण्णत्ता) ४ा छे (तं जहा) ते॥ २॥ प्रारे (एगढ़िया य) मे मील पण मन (बहुबीयगाय) मई मीन वाणा (से कि तं एगट्रिया) मे3 vilvan वृक्ष वा प्रारना छ (अणेग विहा) मने प्रश्न (पण्णत्ता) ४६॥ छ (तं जहा) तेथे २॥ ४॥२ (णिव) सीमा (अंब) मां। (ब) तमु (कोसंभ) शिम (साल) सास (अंकुल्ल) अमरीट (पीलु) पीर (सेलूय) शेतु (सल्लइ) सस्सी (मोयइ) भायटी (मालय) मासु (बउय) पास (पलास) ५(करंजे) ४२०४ (पुत्तंजीवय) पुत्र०५४ (अरिट) २५(२४॥ (विहेलाए) मा (हरिडए य) १२3 (भिल्लाए) मिसा (उबेभरिया) अभ्यो ना२४ (खीरिणी) सीरवी (बोद्धव्वे) नवा ध्ये (धायइ) थाती (पियाले) प्रियास (पइयनिंब) पूतिनि (करज) ४२२८ (सुण्हा) १६ (तह) तथा (सीसवा) शिश५-सीसम (असणे) असन (नाग) पुन्नार (नागरुक्खे) ना ६ (सीव
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧