Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेययोधिनी टीका प्र. पद १ सू.३४ खेचरपश्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाः ४१३
सप्ताऽष्ट-जातिकुलकोटिलक्षाणि, नव-अर्द्धत्रयोदशानि च ।
दश दश च भवन्ति नव, तथा द्वादश चैव बोद्धव्यानि ॥१॥ ते एते खचरपश्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाः। ते एते पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाः ।सू०३४।
टीका-अथ खेचरपञ्चेन्द्रियतिर्थग्योनिकान प्ररूपयितुमाह-से किं तं खहयरपंचिंदियतिरिक्जोणिया'-"से" अथ 'किं तं'-केते, कतिविधा इत्यर्थः 'खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया'- खेचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाः प्रज्ञप्ताः ? भग वानाह-'खहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिया' खेचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकाः 'चउविहा पण्णत्ता-चतुर्विधाः प्रज्ञप्ताः, 'तं जहा' तद्यथा, 'चम्मपक्खी, लोमपक्खी, लाख, त्रीन्द्रियों की आठ लाख, चौइन्द्रियों की नौ लाख, जलचरों की साढे बारह लाख योनियां हैं (दस दसय होति नवगा तह बारस चेव बोद्धव्या) चतुष्पदों की दस लाख, उरपरिसर्पो की दस लाख, भुजपरिसों की नौ लाख, और खेचरों की बारह लाख योनियां जानना चाहिए। (से तं खहयरपंचिंदियतितिक्खजोणिया) यह खेचर पंचेन्द्रियों की प्ररूपणा हुई (से तं पंचिंदियतिरिक्खजोणिया) यह खेचरपंचेन्द्रिय तियचों की प्ररूपणा हुई ॥३४॥ ___टोकार्थ-अब खेचर अर्थात् आकाश में विचरण करने वाले पंचेन्द्रिय तिर्यचों की प्ररूपणा की जाती है। खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच कितने प्रकार के होते हैं ? इस प्रश्न का भगवान् ने उत्तर दिया-खेचरपंचेन्द्रिय तिर्यच चार प्रकार के होते हैं। वे चार प्रकार यों हैं-चर्मपक्षी,
ત્રીન્દ્રિયેની આઠ લાખ, ચાર ઇન્દ્રિયની નૌ લાખ, જલચરની સાડા બાર an योनियो छ (दस-दस य होति नवगा तह बारस चेव बोद्धव्या) यो५॥ ની દશ લાખ, ઉરપરિ સર્પોની દશ લાખ; ભુજપરિ સર્પોની નૌ લાખ અને ખેચરોની બાર લાખ યોનિ જાણવી જોઈએ
(से तं खहयक पंचिंदियतिरिक्खजोणिया) २॥ ५२ ५येन्द्रिय तिय" योनीजानी प्र३५९॥ (से तं पंचिंदियतिरिक्खजोणियो) 24. पयन्द्रिय तिय"य योनीछानी प्र३५९! २७. ॥ सू. ३४ ॥
ટીકાર્થહવે ખેચર એટલે આકાશમાં વિચરણ કરવાવાળા પંચેન્દ્રિય તિર્યની પ્રરૂપણ કરાય છે –
બેચર પંચેન્દ્રિય તિર્યંચ કેટલા પ્રકારના હોય છે?
આ પ્રશ્નનો ભગવાન ઉત્તર આપે છે–ખેચર પંચેન્દ્રિય તિય ચ ચાર પ્રકારના હોય છે
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧