Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयबोधिनी टीका प्र. पद १ सू. ४१ समेददेवस्वरूपनिरूपणम्
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पंचिंदिया । से तं संसारसमावन्न जीयपन्नवणा । से तं जीवपन्नवणा । से न्तं पन्नवणा ॥ सु० ४१ ॥
॥ पन्नवणाए भगवईए पढमपयं समत्तं ॥ १ ॥
छाया - अथ के ते देवाः ? देवाश्चतुर्विधाः प्रज्ञताः, तद्यथा - भवनवासिनः १, वानव्यन्तराः २ ज्योतिषिकाः ३, वैमानिकाः ४ । अथ के ते भवनवासिनः ? araवासिनः दशविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा - असुरकुमाराः १, नागकुमाराः २, सुबर्णकुमाराः ३, विद्युत्कुमाराः ४, अग्निकुमार): ५, द्वीपकुमाराः ६, उदधिकुमाराः ७, दिक्कुमाराः ८, वायुकुमाराः ९, स्तनितकुमाराः १० । ते समासतो
शब्दार्थ - (से किं तं देवा ?) देव कितने प्रकार के हैं ? (चउव्विहा पण्णत्ता) चार प्रकार के कहे हैं (तं जहा) वे इस प्रकार ( भवणचासी) भवनपति (याणमंतरा) चाणव्यन्तर ( जोइसिया) ज्योतिष्क (वैमाणिया) वैमानिक |
(से किं तं भवणवासी ?) भवनपति देव कितने प्रकार के है ? (दसविहा पण्णत्ता) दशप्रकार के कहे हैं (तं जहा ) वे इस प्रकार (असुरकुमारा) असुरकुमार (नागकुमारा) नागकुमार ( सुवन्नकुमारा) सुवर्णकुमार (विज्जुकुमार ) विद्युतकुमार (अग्गिकुमारा) अग्निकुमार (दीवकुमारा) दीपकुमार (उदहिकुमारा) उदधिकुमार ( दिसाकुमारा) दिशाकुमार (वाकुमारा) वायुकुमार ( धणियकुमारा) स्तनितकुमार (ते समासओ) वे संक्षेप से (दुबिहा पण्णत्ता) दो प्रकार के कहे गए हैं (पजत्तगा य अपजत्तगा य) पर्याप्तक और अपर्याप्तक ( से तं भवणवासी) यह भवनपति हुए ।
शब्दार्थ - (से किं तं देवा) हेव डेटा प्रहारना छे ? (देबा चउव्विहा पण्णत्ता) देवे। यार प्रहारना छे (तं जहा) ते या प्रारे (भवणवासी) लवनपति (बाणमंतरा) आलुव्यन्तर ( जोइसिया) न्योतिष (वैमाणिया) वैभानि
(से किं तं भवणवासी) अपनयति देव सा प्रहारना छे (भवणवासी) वनपति (दसवा पण्णत्ता) : अडाना उद्या छे (तं जहा) तेथे या प्रकारे (असुरकुमारा) असुरठुभार (नागकुमारा) नागभार (सुवण्णकुमारा) सुवर्णु भार (विज्जुकुमारा) विद्युत्भार (अग्गिकुमारा) अग्निकुमार (दीवकुमारा) द्वीपकुमार (उदहीकुमारा) उदधिभार (दिसाकुमार ) हि भार ( बाजकुमारा) पायुङ्कुमार (थणि यकुमारा) स्तनितकुमार (ते समासओ) तेथे। संक्षेपथी (दुबिहा पण्णत्ता) ञे
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧