Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयबाघिनी टीका प्र. पद १ सू० १९ सभेदवनस्पतिकायनिरूपणम्
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से किं तं बहुबीयगा ? बहुबीयगा अणेगविहा पण्णत्ता तं जहा'अस्थि य१ तेंदुर कविट्टे, अंबाडग४ माउलिंग ५ विल्ले य ६ । आमलग७ फणिस८ दालिम ९ आसोट्ठे १० उंबर ११ वडे य१२।५। णग्गोह १३ मंदिरुक्खे १४, पिपरी १५ सय १६ । पिल्लुक्रुक्खे १७ काउंवरि १८ कुत्थंभरि १९ देवदालीय २० ॥ ६ ॥ तिलए लउ छैत्तोह सिरीस सत्तवन्न दहिर्वन्ने । लोड व चंदणं ऽज्जुणै णीमे कुडएँ कैयंबे य ॥७॥
जे यावन्ने तह पगारा, एएसि मूला वि असंखेज्ज जीव या, कंदा विघा विसाला वि, पत्ता पत्तेय जीवया, पुप्फा अणेगजीवया, फला बहुबीयगा । से त्तं बहुबीयगा । से त्तं रुक्खा |१| अपि त्वचोऽपि शाखा अपि प्रवाला अवि, पत्राणि प्रत्येजीवकानि, पुष्पाणि अनेक जीवकानि फलानि एकास्थिकानि । ते एते एकास्थिकाः ।
अथ के ते बहुबीजकाः ? बहुवीजका अनेकविधाः प्रज्ञप्ताः, तद्यथा 'अस्थिकः १ तिन्दुकः २ कपित्थः ३ अम्बाडकः - आम्रातकः ४ मातुलिङ्गः ५ विल्यथ६ । आमलकः७ पनसः८ दाडिमः ९ अश्वत्थः १० उदुम्बरः ११ वट (सीयण्णि) श्रीपर्णी (तहा) तथा (असोगे य) और अशोक (जे यावन्ने तहप्पगारा) अन्य जो भी इसी प्रकार के हैं (एएसि णं) इनके (मूला) मूल (वि) भी (असंखेज्जजीविया) असंख्यात जीवों वाले (कंदा चि) कंद भी ( संधा वि) स्कंध भी (तया वि) छाल भी (साला वि) शाल भी ( पवाला वि) प्रचाल भी (पत्ता) पत्ते (अणेगजीविया) अनेक जीव वाले ( फला) फल ( एगडिया) एक बीज वाले ( से तं एगडिया) वह एक बीज वाले वृक्ष कहे गए ।
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लिए) श्रीपर्णी (तहा) तथा (असोगे य) अने अशो (जे यावन्ने तहपगारा) अन्य ने डोह गावी लतना छे (एएसिण) तेयोना (मूला) भूस (वि) प (असंखेज्जजीवया) अस ंख्यात भुवो वाणी सभा (कंदा वि) : पशु (संधा वि) २४६ प ( तया बि) छात्र पए (साला वि) शामा पशु ( पवाला वि) प्रवास पणु (पत्ता) पाहडी (पत्तेय जीवया) गोड भेड भुष वाजा (पुप्फा) ल (अणेगजीयिया) मने! वो वाजा (फलो) ३ ( एगट्टिया) मेड मीन पाणा ( से त्तं एगट्टिया) मा मेड मीन वाणा वृक्ष उडेवाया
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શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧