Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रज्ञापनासूत्रे परम्परासिद्धासंसारसमापन्नजीव प्रज्ञापना ? च । अथ का सा अनन्तरसिद्धासंसारसमापनजीवप्रज्ञापना ? अनन्तरसिद्धासंसारसमावण्णजीवप्रज्ञापना पञ्चदश विधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-तीर्थसिद्धा१, अतीर्थसिद्धा२, तीर्थकरसिद्धा३, अतीर्यकरसिद्धा४, स्वयंबुद्धसिद्धा५, प्रत्येकबुद्धसिद्धा६, बुद्धबोधितसिद्धा७, स्त्रीलिङ्गसिद्धा८, पुरुषलिङ्गसिद्धा९, नपुंसकलिङ्गसिद्धा१०, स्वलिङ्गसिद्धा११, अन्यलिङ्गसिद्धा१२, गृहिलिङ्गसिद्धा१३, एकसिद्धा१४, अनेकसिद्धा१५। सा अनन्तरसिद्धासंसार सारसमापन्नजीवप्रज्ञापना दो प्रकार की (पण्णत्ता) कही है (तं जहा) वह इस प्रकार (अणंतरसिद्ध असंसारसमावन्नजीवपन्नवणा) अनन्तर सिद्ध-प्रथमसमयसिद्ध मुक्त जीवों की प्ररूपणा (य) और (परंपरसिद्धअसंसार समावण्णजीवपण्णवणा) परम्परा सिद्ध मुक्त जीवों की प्ररूपणा (से किं तं अणंतरसिद्ध असंसार समायण्णजीवपण्णयणा ?) अनन्तरसिद्ध मुक्त जीवों की प्रज्ञापना क्या हैं ? वह (पण्णरसविहा) पन्द्रह प्रकार की (पण्णत्ता) बताई है (तं जहा) वह इस प्रकार (तित्थसिद्धा) तीर्थसिद्ध (अतित्थसिद्धा) अतीर्थसिद्ध (तित्थगरसिद्धा) तीर्थकरसिद्ध (अतित्थगरसिद्धा) अतीर्थकरसिद्ध (सयंवुद्धसिद्धा) स्वयंबुद्धसिद्ध स्वयं बोध करके सिद्ध हुए (पत्तेयबुद्धसिद्धा) प्रत्येक बुद्ध सिद्ध (बुद्धबोहियसिद्धा) बुद्ध बोधित सिद्ध (इत्थीलिंगसिद्धा) स्त्रीलिंग सिद्ध (पुरिसलिंगसिद्धा) पुरुषलिंग सिद्ध (नपुंसगलिंगसिद्धा) नपुंसक लिंग (सलिंगसिद्धा) स्वलिंगसिद्ध (अन्नलिंगसिद्धा) अन्यलिंगसिद्ध (गिहि. लिंगसिद्धा) गृहस्थलिंगसिद्ध (एकसिद्धा) अकेलेसिद्ध (अणेगसिद्धा)
प्रा२नी (पण्णत्ता) ४डी छ (तं जहा) ते ॥ रीते (अगंतरसिद्धअसंसारसमावन्न जीवपण्णवणा) अनन्त२ सिद्ध-प्रथम समयसिद्ध मुरत लवानी प्र३५॥ (य) मने (परंपरसिद्धअसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा) ५२ ५२। सिद्ध भुत योनी ५३५५॥
(से किं तं अणंतरसिद्ध असंसारसमावण्णजीवपण्णवणा) मनन्तरसिद्ध भुत वानी प्रज्ञापन शु छ ? (पण्णरसविहा) ते ५४२ ५४ारनी (पण्णत्ता) तापी ॐ (तं जहा) ते ॥ शते छ (तित्थसिद्धा) तीर्थ सिद्ध (अतित्थसिद्धा) मतीय सिद्ध (तित्थगरसिद्धा) तीथ ४२ सिa (अतित्थगरसिद्धा) २मती ४२ सिद्ध (सयंबद्धसिद्धा) स्वयं मध पाभीने सिद्ध थयेसा (पतेयबुद्धसिद्धा) प्रत्ये४ मुद्ध सिद्ध (बद्धबोधियसिद्धा) मुद्ध माथित सिद्ध (इथिलिंगसिद्धा) स्त्री सिद्ध (परिस लिंगसिद्धा) पुदि सिद्ध (नपुंसकलिंगसिद्धा) नपुंसस सिद्ध (सलिंगसिद्धा) स्वसि सि (अन्नलिंगसिद्धा) २मन्य सि. (गिहिलिंगसिद्धा) गृहस्थ
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૧