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योगशास्त्र : द्वितीय प्रकाश
राजपुत्र अभयकुमार वहां आ पहुंचे। सुलस को छाती से लगाते हुए उसने कहा- 'शाबास सुलस ! तू ने बहुत ही बढ़िया काम किया है। मैंने तुम्हारी सभी बाते ध्यानपूर्वक सुनी हैं, तभी तो मैं खुश हो कर तुम्हें धन्यवाद देने के लिए यहाँ माया हूं । वंशपरम्परा के पाप-पंक में फंसने की अपेक्षा तू ने दूर से ही उसका परित्याग कर दिया है । इसलिए वास्तव में तेरा जीवन धन्य हो उठा है, तू वास्तव में प्रशंसनीय है । हम तो गुणों के पक्षपाती है ।" इस प्रकार धर्मवत्सल राजकुमार अभय मधुर वचनों से उसका अभिनन्दन करके अपने स्थान को लोट गया ।
इधर दुर्गतिभीरु सुलस ने अपने बन्धुवर्ग के कथन को बिल्कुल नहीं मान कर धीरे-धीरे श्रावक के १२ व्रतों का अंगीकार किया । दरिद्र को ऐश्वर्य प्राप्ति की तरह सुलस को भी धर्मधन की प्राप्ति हुई । सच है, कालसोकरिक के पुत्र सुलस की तरह कुल परम्परा से प्रचलित हिसाकर्म का त्याग करता है, स्वर्गसम्पत्ति उसके लिए कुछ भी दूर नही है । वस्तुतः वह श्रेयःकार्य का अधिकारी बनता है ।
हिंसा करने वाला कितना ही इन्द्रियदमन आदि कर ले, लेकिन न तो वह नये सिरे से पुण्योपार्जन ही कर सकता है; और न ही पाप का प्रायश्चित्त कर आत्मशुद्धि कर सकता है। इस सम्बन्ध में कहते हैं -
दमो देवगुरुपास्तिर्दानमध्ययनं तपः । सर्वमप्येतदफल हिंसा चेन्न परित्यजेत् ॥३१॥
अर्थ
जब तक कोई व्यक्ति हिंसा का त्याग नहीं कर देता, तब तक उसका इन्द्रियदमन, देव और गुरु की उपासना, दान शास्त्राध्ययन, और तप आदि सब बेकार हैं, निष्फल हैं ।
व्याख्या
शान्ति की कारणभूत अथवा कुलपरम्परा से प्रचलित हिंसा का त्याग नहीं किया जाता, तब तक इन्द्रिमदमन, देव और गुरु की उपायना सुपात्र को दान, धर्मशास्त्रों का अध्ययन, चान्द्रायण आदि कठोर तप इत्यादि शुभ धर्मानुष्ठान भी पुण्योपार्जन और पापक्षय आदि कोई सुफल नहीं लाते, सभी निष्फल जाते है । इसलिए मांसलुब्ध पारिवारिक लोगों की सुखशान्ति के लिए या रूढ़ कुलाचार के पालन के लिए की जाने वाली हिंसा का निषेध किया है। अब शास्त्रजनित हिंसा का निषेध करने की दृष्टि से शास्त्र द्वारा उसका खण्डन करते हैं
विश्वस्तो मुग्धधीर्लोकः पात्यते नरकावनौ । नृशंसैर्लोभान्धेहिसाशास्त्रोपदेशकैः ॥ ३२ ॥
अहो
अर्थ
'अहो ! निर्दय और लोभान्ध हिंसाशास्त्र के उपदेशक इन बेचारे मुग्ध बुद्धि वाले भोले-भाले विश्वासी लोगों को वाग्जाल में फंसा कर या बहका कर नरक की कठोर भूमि में डाल देते हैं।