Book Title: Yogshastra
Author(s): Padmavijay
Publisher: Nirgranth Sahitya Prakashan Sangh

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Page 635
________________ यागशास्.की गरिमा * योगशास्त्र की लह वर्षगम्भीर ... हिमाचल की तरह माला लिए न हो। है, बालविशाल माय मन्नार है, जालना . बन की मनीकिक लिपि है, ना बोल लिए अध्यात्मज्ञान का विश्वकोश * बालसाना ईमी विपाकी घोड़ी माला सावरकर, मन और इणियों की साधना की एवं उन पर विजयी सांगोपांग प्रकिया इसमें बताई गई है। बर्षाचीन एवं प्राचीन सभी दृष्टियों से अनोपांगों सहित रोल पृष्टान्तों से प्रतिपाय विषयको पुष्ट करते हुए बोल का सरल, सरल सुबोध नी में वर्णन किया है।' * वस्तुतः योगशास्त्र नाचार्यश्री की कवितातसमता मोर मत प्रतिमा का परिचायक है। जीवन मोर जगत् महासमुद्र में रखते हुए सोसारित विषयों के मानों, उत्ताल अनिष्ट तरंगों को पारचात्य एवं मानवासी भयंकर पार्वनावों मात्मा सापक एवं वर्मनी वितु भाका पाने के लिए योगशास्त्र महाप्रयास-सनम को सापक की बीवन-नवा को बना विलास 84

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