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संवरभावना का स्वरूप
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तप, त्याग, बार-बार ध्यान करना, तीर्थप्रभावना, सघ में समाधि करना, साधुओं की सेवा (यावृत्य), अपूर्व नवीन ज्ञान ग्रहण करना और दर्शनविशुद्धि इन बीस स्थानकों (तप) की आराधना तीर्थकरनामकर्म आश्रव की हेतु है । प्रथम तीर्थकर श्री ऋषभदेव भगवान् और अन्तिम तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी ने इन बीस स्थानक-तप की आराधना की थी, शेष तीर्थंकरों ने इनमें से एक, दो, तीन या सबकी आराधना की थी। गोत्रकर्म के आषव के हेतु दूसरे को निन्दा, मजाक, अवज्ञा, अनादर करना, सद्गुणों का लोप करना, किसी में दोप हो या न हो, फिर भी दोपों का कथन करना, आत्मप्रशंसा करना, अपने में गुण हो या न हो, लेकिन गुणों का ही कथन करना, अपने दोपों को छिपाना, जाति आदि का अभि. मान करना ; ये सब नीचगोत्र-नामकर्म के आश्रवहेतु हैं और इनसे विपरीत अभिमानरहित रहना, मन, वचन, काया से विनय करना आदि उच्चगोत्र के आश्रव के हेतु हैं । अन्तरायकर्म के आश्रय के हेतुदान, लाभ, पराक्रम (वीर्य), भोग और उपभोग इनमें कारणवश या अकारण ही विघ्न डालना, अन्तरराय कर्म के आश्रव का हेतु है । प्रसंगवश यह आश्रव शुभ भी हो जाता है, अन्यथा जीवों को वैराग्य का कोई निमित्त नहीं रहता । इस प्रकार आश्रय को अशुभ जान कर भव्यजीवों को निर्ममत्व के सम्पादनहेतु माधवभावना का चिन्तन करना चाहिये। अब संवरभावना का निरूपण करते हैं
सर्वेषामात्रवाणां तु निरोधः संवरः स्मृतः ।
स पुनभिद्यते द्वेधा, द्रव्यभावविभेदतः ॥७६॥ अर्थ-पूर्वोक्त सभी माधवों को रोकना संवर कहलाता है। यह तो अयोगी केवलियों में ही होता है । यह कथन सर्वसंवर की अपेक्षा से है। एक, दो, तीन आदि आश्रवों को रोकना देशसंबर कहलाता है। सर्वसंवर अयोगीकेवली नामक चौदहवें गुणस्थानक में होता है। सर्वसंवर और देशसंवर दोनों के द्रव्य और भाव की अपेक्षा से दो-दो भेद होते हैं। अब उन दो भेदों के सम्बन्ध में कहते हैं
यः कर्म पुद्गलादानच्छेदः स द्रव्यसंवरः।
भवहेतुक्रिया-त्यागः स पुनर्भावसंवरः ॥५०॥ अर्थ-आधवद्वार से कर्मपुद्गलों के आगमन का निरोध करना, द्रव्यसंवर है, और संसार को कारणभूत क्रियाओं का त्याग करना, भावसंवर है।'
____ अब कषाय, विषय, योग आदि से अशुभकर्म हेतु के प्रतिपक्षभूत अर्थात् विरोधी उपाय की महत्ता बताते हैं
येन येन ा पायेन, रूध्यते यो य आश्रवः ।
तस्य तस्य निरोधाय, स स योज्यो मनीषिभिः ॥१॥ अर्थ-जो जो आलव जिस-जिस उपाय से रोका जा सकता है, उसे रोकने के लिए विवेकीपुरुष उस उस उपाय को काम में लाए।