Book Title: Tirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Shantisagar Chhani Granthamala
View full book text
________________
८. रत्नकरण्डकश्रावकाचार-टीका १. ममाक्तिंत्र-दीका १० क्रियाकलाप-रीका ११. आत्मानुशासन-टोका १२. महापुराण-टिप्पण।
आचार्य जुगलकिशोर मुख्तारने रलकरण्डयावकाचारको प्रस्तावनामें रत्नकरगडवावकाचारकी दीका और समाधिनत्रकी टीकाको प्रस्तुत प्रभाचन्द्र द्वारा रचित न मानकर किसी अन्य प्रभाचन्द्रकी रचनाएँ माना है। पर जब प्रभाचन्द्रका समय ११ वीं शताब्दी मिद्ध होता है, तो इन ग्रन्थोंके उद्धरण रह भी सकते हैं। ग्नकरण्डटीका और ममाधितंत्रटीकामें प्रमेयकमलमासंण्ड और न्यायकुमुदचन्द्रका एक मात्र विशिष्ट शैलीमें उल्लेख होना भी इस रातका सूचक है कि ये दोनों टीकाएं प्रसिद्ध प्रमाचन्द्रकी ही हैं। यथा-- ___"तदलमतिप्रसङ्गेन प्रमेयकमलमानण्डे न्यायकुमुदचन्द्रे प्रपञ्चतः प्ररूपगान्'--.रलकरण्डटीका पृष्ठ-६ । "य: पुनर्योगसांख्यर्मुक्तो तत्प्रच्युतिरात्मनोभ्यपगता ने प्रमेयकमलमार्तण्डे न्यायकुमुदचन्द्रे च मोक्षविचारे विस्तरतः प्रत्याख्याताः ।" . ममावितन्त्रटीका, पृष्ठ १५ ।।
ये दोनों अवतरण प्रभाचन्द्रकृत शब्दाम्भोजभास्करके उद्धरणसे मिलते जलते है
"तदात्मकत्वं चायंस्य अध्यक्षतोऽनुमानादिश्च यथा सिद्धयति तथा प्रमेयकमलमार्तण्डे न्यायकुमुदचन्द्र च प्ररूपितामह द्रष्टव्यम् ।"-शब्दाम्भोजभास्कर।
प्रभाचन्द्रकृत गद्यकथाकोशमें पायी जाने वाली अञ्जनचोर आदिको कथाएँ रत्नकरण्डकश्रावकाचारगन कथाओंसे पूर्णत: मिलती हैं । अतएव रत्नकरण्डक श्रावकाचार और समाधितन्त्रको टोकाएं प्रस्तुत प्रभाचन्द्रको ही हैं।
क्रियाकलापकी टीकाको एक हस्तलिखित प्रति बम्बईके सरस्वतीभवनमें है। इस प्रतिकी प्रशस्तिमें क्रियाकलापटीकाके रचयिता प्रभाचन्द्रके गुरुका नाम पद्मनन्दि सैद्धान्तिक है और न्यायकुमुदचन्द्र आदिके कर्ता प्रभाचन्द्र भी पयनन्दि सैद्धान्तिकके ही शिष्य हैं। अतएव क्रियाकलापटीकाके रचयिता प्रस्तुत प्रभाचन्द्र ही जान पड़ते हैं। प्रशस्ति निम्न प्रकार है
"वन्दे मोहतमोविनाशनपटुस्त्रलोक्यदीपप्रभुः संसतिसमन्वितस्य निखिलस्नेहस्य संशोषकः । सिद्धान्तादिसमस्तशास्त्रकिरणः श्रीपयनन्दिप्रभुः तच्छिष्यात्प्रकटार्थतां स्तुतिपदं प्राप्तं प्रभाचन्द्रतः ॥"
प्रबुद्धाचार्य एवं परम्परापोषकाचार्य :