Book Title: Tirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Shantisagar Chhani Granthamala
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अर्थात् अपने और परके हितके लिए अपनी वस्तुका त्याग करना दान है। यहाँ 'स्वपरहिताय' पद गृपिच्छाचार्यके 'अनुग्रहार्थम्' पदसे अधिक स्पष्ट है। इसी प्रकार षष्ठ अध्यायके चतुर्थ सूत्रमें ज्ञानावरण और दर्शनावरणके हेतुओंका कथन भी इन ग्रंथमें अधिक स्पष्ट है । गृपिच्छने 'तत्प्रदोषनिन्हव' आदि सूत्र लिखा है, पर प्रभाचन्द्रने 'गरुनिम्हवादयो' पद प्रयुक्त किया है, जिससे उक्त सूत्रकी अपेक्षा अधिक स्पष्टोकरण आ गया है। अतएव प्रभाचन्द्रका यह तत्त्वार्थसूत्र गद्धपिच्छाचायंके अनुकरणपर लिखा होनेपर भी कई बातें विशेष है।
___ आचार्य पार्श्वदेव आचार्य पार्श्वदेव लौकिक विषयोंके मर्मज्ञ पण्डित हैं। इन्होंने अन्य शास्त्रोंगे नाग संगी। समीना भी रचना की है । एक प्रशस्तिमें इनके सम्बन्धमें बताया गया है-"श्रीमदभयचन्द्र-मुनीन्द्र चरणकमलमधुकरायितमस्तकमहादेवाशिष्यस्वरविमलविद्यापूत्रसम्यक्त्वचूडामणिभरतभाण्डीक - भाषाप्रवीणश्रुतिज्ञानचक्रवर्तीसंतोताकरनामधेयपावदेवविरचिते सङ्गीतसमय
सारे"
संगीतसमयसारकी मुद्रित प्रतिमें प्रशस्ति निम्न प्रकार है-"श्रीमदभिनवभरताचार्यसरविमलहेमणाविद्यापुत्रश्रुतिज्ञानच(क)वातिसङ्गीताकरनामधेयपाश्चदेवविरचिते-संगीतसमयसारे" | __इस प्रशस्तिसे स्पष्ट है कि पार्श्वदेव महादेवार्य के शिष्य और अभयचन्द्रके प्रशिष्य थे | कृष्णमाचार्यने इन्हें श्रीकान्त जातिके आदिदेव एवं गौरीका पुत्र बताया है। इनकी 'श्रुतज्ञानचक्रवर्ती', 'संगीताकर' और 'भाषाप्रवीण' उपाधियाँ थीं । श्रीनारायण मोरेश्वर खरेने पार्श्वदेवको दाक्षिणात्य अनुमानित किया है। उन्होंने लिखा है-"स्थायीके नामोंको देखते हुए ऐसा मालूम होता है कि महाराष्ट्र तथा कर्नाटकमें प्रचलित संगीतकी ओर विशेष ध्यान दिया है। कर्नाटकके नाम बहुत बार देखने में आते हैं, इससे अन्धकार स्वयं कर्नाटककी ओरके हों; ऐसी बहुत सम्भावना होती है।"
पार्श्वदेवने संगीतसमयसारके द्वितीय अधिकरणके प्रथम श्लोकमें भोजराज और सोमेश्वरका उल्लेख किया है। भोजराजका समय ई० सन् १०५३ और सोमेश्वरका ११८३ है। इससे यह ध्वनित होता है कि 'संगीतसमयसार के रचयित्ता पार्श्वदेवका समय ई० सन् १९८३ के पश्चात होना चाहिये । इस
१. जैन सिद्धान्तमास्कर, आरा, भाग १०, किरण १, पृ० १७ ।
३०२ : तीयंकर महावीर और उनकी आचार्य-परम्परा