Book Title: Tirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Shantisagar Chhani Granthamala

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Page 466
________________ इन्होंने मूर्ति-मन्दिरप्रतिष्ठा, पुराण, कथा, पूजा-पाठ, स्तोत्र आदिकी रचना एवं मन्त्र-तन्त्रोंका चमत्कार दिखला कर जैन संस्कृतिको रक्षा की है / भट्टारकोंने अपने कला-कौशल, काव्यप्रतिभा, आध्यात्मिकता आदिके कारण तत्कालीन शासकोंको भी प्रभावित किया है। ये ई० सन्की ९वीं, १०वों शतीसे ही जैनसाहित्य और संस्कृतिका प्रचार करते रहे हैं। हमने यहाँ प्रमुख साहित्यसेवी भट्टारकोंका ही परिचय प्रस्तुत किया है, क्योंकि इनके द्वारा तीर्थंकर महावीरकी परम्परा सुरक्षित रह सकी है। 454 : तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्यपरम्परा

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