Book Title: Tirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Shantisagar Chhani Granthamala
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By this author we have the work Jvalamalini-Kalpa. It deals with the cult of propitiating the goddess of fire, Jvalamalini. The wosk opx:ns with an account of the circumstances of the origin of the cult. Elachatya, a sage and leader of Dravidagana, lived at Hemagrama in Daksindeya. He hal .i female Pupil namel KamalaSji. Once she becante possessed of a Brahma-kakshusa under whose influence she indulged in all sorts of acts and talks decent or indecent. .....Elacharya saught the aid of Vahnidevata that dwelt on the top of the Nilagiri hills. Ele inculcated the art which Indranandi long after him professes to expose in writing. 1
ज्वालमालिनीकल्पकी प्रशस्तिसे अवगत होता है कि इन्द्रनन्दि योगीन्द्र मन्त्रशास्त्रके विशिष्ट विद्वान थे तथा वासवनन्दिके प्रशिष्य और बप्पनन्दिके शिष्य थे। इन्होंने हेलाचार्य द्वारा उदित हए अर्थको लेकर इस ज्वालमालिनीकल्पकी रचना की है। इस ग्रन्थकी आद्यप्रशस्तिके २२ ३ पद्यमें ग्रन्थरचनाका प्रायः पूरा इतिवृत्त दिया गया है। देवीके आदेशसे ज्वालिनीमत नामक एक ग्रन्थ मलय नामक दक्षिण देशके हेम नामक ग्राममें द्रविड़ाधीश्वर हेमाचायने रचा था। उनके शिष्य गङ्गमुनि, नीलग्रीव और बीजाव नामके हुए और 'सात्तिरसञ्बा' नामक आयिका तथा 'बिरुबट्ट' नामक क्षुल्लक भी हुआ 1 इस परिपाटी एवं अविच्छिन्न सम्प्रदायसे चले आये हुए मन्त्रवादका यह ग्रन्थ कन्दर्पने जाना और उसने भी अपने पुत्र गुणनन्दि नामक मुनिके प्रति व्याख्यान किया। इन दोनों के पास रहकर इन्द्रनन्दिने उस मन्त्रशास्त्रका ग्रन्थतः और अर्थतः विशेष रूपासे अध्ययन किया । इन्द्रनन्दिने उस क्लिष्ट प्राचीन शास्त्रको हृदयमें धारणकर ललित आर्या और गीतादि छन्दोंमें हेलाचार्यके उक्त अर्थको ग्रन्थ परिवर्तनके साथ सम्पूर्ण जगतको आश्चर्यचकित करने वाले इस ग्रन्थकी रचना की। रायबहादुर डॉ हीरालाल जीने इन्द्रनन्दिकी गुरुपरम्पराका उल्लेख निम्न प्रकार किया है।
द्राविड़-गण
इन्द्रदेव
इन्द्रनन्दि ( प्रथम ) बासबनन्दि
१. ज्वालामालिनीकल्प, सूरत संस्करण, प्रास्ताविक, पृ०७ पर उघत । १७८ : तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्यपरम्परा