Book Title: Tirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Shantisagar Chhani Granthamala
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आरम्भका त्याग कर विकथा एवं कषायोंसे रहित होकर 'ओ ह्रीं पण्हसवणे स्वाहा' इस मन्त्रका एक हजार बार जाप कर भूमिपर शयन करे। यहाँ स्वप्नोंके दो भेद बतलाये हैं--कथित और सहज । मन्त्रजायपूर्वक किसी देवविशेषकी आराधनासे जो स्वप्न देखे जाते हैं वे देव कथित और चिन्तारहित स्वस्थ एवं स्थिर मनसे बिना मन्त्रोच्चारणके शरीरमें धातुओंके सम होनेपर जो स्वप्न देखे जाते हैं, वे सहज कहलाते हैं । प्रथम प्रहर में स्वप्न देखनेसे उसका फल दश वर्ष में, दूसरे प्रहरमें स्वप्न देखनेसे उसका फल पाँच वर्षमें, तीसरे प्रहरमें स्वप्न देखनेसे उसका फल छह महीने में और चौथे प्रहरमें स्वप्न देखनेसे उसका फल दस दिनमें प्राप्त होता है ।
जो स्वप्न में जिनेन्द्र भगवानकी प्रतिमाको हाथ, पैर, घुटने, मस्तक, जंघा, कंधा और पेटसे रहित देखता है वह क्रमशः ४ महीने, ३ वर्ष, १ वर्ष, पाँच दिन, वर्ष, १ मास और टमास जीवित रहता है । अथवा जिस व्यक्तिके शुभाशुभको ज्ञात करने के लिए स्वप्नदर्शन किया जा रहा है, वह उपर्युक्त समयों तक जीवित रहता है । स्वप्न में छत्रभंग देखनेसे राजाकी मृत्यु, परिवारकी मृत्यु देखने से परिवारका मरण होता है । यदि रच अपनाना होता
तो दो महीने की आयु शेष समझनी चाहिये । दक्षिण दिशाकी ओर ऊँट, गदहा और भैंसेपर सवार होकर घी या तेल शरीरमें लगाये हुए जाते देखे तो एक मासकी आयु शेष समझनी चाहिये । यदि काले रंगका व्यक्ति घरमेंसे अपनेको बलपूर्वक खींचकर ले जाते हुए स्वप्न में दिखलायी दे तो एक मासकी आयु शेष समझनी चाहिये । रुधिर, चर्बी, पीव, चर्म और तैलमें स्नान करते हुए या डूबते हुए अपनेको स्वप्न में देखे या स्वप्न में लाल फूलोंको बांधकर ले जाते हुए देखे, तो वह व्यक्ति एक मास जीवित रहता है । इस प्रकार इस प्रकरणमें विस्तारपूर्वक स्वप्नदर्शनका कथन किया गया है। इसके अनन्तर प्रत्यक्षरिष्ट और लिंगरिष्टोंका कथन करते हुए लिखा है कि जो व्यक्ति दिशाओंको हरे रंगकी देखता है, वह एक सप्ताह के भीतर, जो नीले वर्णकी देखता है वह पांच दिनके भीतर, जो श्वेत वर्णकी वस्तुको पीत और पोत वर्णकी वस्तुको श्वेत देखता है वह तीन दिन जीवित रहता है। जिसकी जीभसे जल न गिरे, जीभ रसका अनुभव न कर सके और जो अकारण अपना हाथ गुप्त स्थानोंपर रक्खे बह सात दिन जीवित रहता है । इस प्रकरणमें विभिन्न अनुमान और हेतुओं द्वारा मृत्युसमयका प्रतिपादन किया गया है ।
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प्रश्न द्वारा रिष्टोंके वर्णनके प्रकरण में प्रश्नोंके आठ भेद बतलाये है१. अंगुलि प्रश्न, २. अलक्त प्रश्न, ३. गोरोचन प्रश्न ४. अक्षर प्रश्न,
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२०२ तीपंकर महावीर और उनकी बाचार्य परम्परा