Book Title: Tirthankar Mahavira aur Unki Acharya Parampara Part 3
Author(s): Nemichandra Shastri
Publisher: Shantisagar Chhani Granthamala
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१६. परिज्ञान- पाधायोंमें प्रत्यकके प्रश्नाक्षरों द्वारा गर्भसम्बन्धी गुह्य प्रश्नोंका उत्तर दिया गया है।
१२. विवाह - इस प्रकरणमें केवल पाँच गायाएँ हैं । इनमें विवाहसम्बन्धी प्रश्नों के उत्तर दिये गये हैं ।
१३. गमनागमन - इस प्रकरणमें ९ गाथाएँ हैं । विदेश या दूर देश गये हुए व्यक्तिके लौट कर आनेके समयका विचार किया गया है।
१४. परिचित ज्ञान - ५ गाथाओं में कौन व्यक्ति किस समय मित्र या शत्रुका रूप प्राप्त करेगा तथा किस परिचितसे लाभालाभ होगा — इसका विचार किया गया है ।
१५. जय-पराजय – १३ गाथाओं के जय-पराजयका विचार किया गया है । किस समय आक्रमण करनेसे विजय लाभ होगा और किस समय आक्रमण करनेपर पराजय होगी आदि बातोंका प्रश्नाक्षरों द्वारा विचार किया गया है।
१६. वर्षा -लक्षणमें २८ गाथाएँ हैं । वर्षाकाल में आकर पृष्छकके वर्षा सम्बन्धी प्रश्नों का उत्तर दिया गया है। बताया है कि मनुष्यों को सुख, बुद्धि और ऐश्वर्यकी प्राप्ति अन द्वारा होती है और अन्नका हेतु वर्षों है । अतएव वर्षा सम्बन्धी प्रश्नों का उत्तर इस प्रकरण में दिया गया है।
१७. अर्ध-काण्ड - इस प्रकरण में २१ गाथाएँ हैं और तेजी-मन्दीका विचार गया है ।
१८. नष्ट - परिज्ञान — इस प्रकरण में ३१ गाथाएँ हैं और नष्ट हुई, चोरी गयो वस्तुका प्रश्नाक्षरों द्वारा विचार किया गया है ।
१९. तपोनिर्वाह-परिज्ञान — इस प्रकरण में ७ गाथाएँ हैं । संसारसे विरक्त होनेवाला व्यक्ति अपनी दीक्षाका निर्वाह कर सकेमा या नहीं आदि प्रश्नोंका विचार किया गया है ।
२०. जीवित मान - - इस प्रकरणमें ७ गाथाएँ हैं । ग्रहदशावश आयुका परिज्ञान प्राप्त करनेकी विधिका वर्णन है ।
२१. नामाक्षरोद्द ेश – इस प्रकरणमें ११ गाथाएं हैं। आरम्भमें बताया है कि जैसे दानके बिना वन, चन्द्रके बिना रात्रि शोभित नहीं होती उसी प्रकार नामके बिना विद्यमान वस्तु भी शोभित नहीं होती । अतः प्रश्नाक्षरविधि द्वारा वस्तु और व्यक्तिके नामका वर्णन किया है ।
२२. प्रश्नाक्षरसंख्या - इस प्रकरण में ११ गाथाएँ हैं । प्रश्नाक्षरगणना द्वारा शुभाशुभ फलका विवेचन किया है।
प्रबुद्धाचार्य एवं परम्परापोषकाचार्य : २४९
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