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अर्थात- जो कवियों में तीर्थंकर के समान थे और जिनका वचन रूपी तीर्थ विद्वानों के वचन मल को धोने वाला है। उन देवनन्दि आचार्य की स्तुति करने में कौन समर्थ है ?
आचार्य शुभचन्द्र ज्ञानार्णव में उनके गुणों का उद्भावन करते हुए कहते
हैं
'अणकुर्वन्ति यद्वाचः कायवाक् चित्त सम्भवम् । कलङ्कमङ्गिनां सोडयं देवनन्दी नमस्यते ॥1.15॥
अर्थात् - जिनकी शास्त्र पद्धति प्राणियों के शरीर, वचन और चित्त कं सभी प्रकार के मैल को दूर करने में समर्थ है, उन देवनन्दी को मैं प्रणाम करता हूं।"
2. आचार्य श्री माघचन्द्र जी महाराज
आपका जन्म विक्रम सं. 990 में माघ शुक्ला 14 को हुआ था। आप 13 वर्ष तक गृहस्थ रहे। 20 वर्ष तक दीक्षाकाल में व्यतीत किए। 32 वर्ष 24 दिन आचार्य पद पर आसीन रहे । आपने 65 वर्ष 24 दिन की कुल आयु पायी । आचार्यश्री महान तपस्वी, व्याख्यानदाता, ग्रन्थकार और दिग्गज विद्वान थे । आपकी ज्ञान गरिमा अपरिसीम थी ।
3. आचार्य श्री लक्ष्मीचन्द्र जी महाराज
जन्म जेठ वदी 12, विक्रम संवत 1033 को हुआ । गृहस्थावस्था 11 वर्ष । 25 वर्ष तक मुनि और 14 वर्ष 4 माह 6 दिन आचार्य पद सुशोभित किया। 50 वर्ष चार माह तीन दिन में आयु पूर्ण की। निर्भीक वक्ता और महान तपस्वी थे 1
4. आचार्य श्री प्रभाचन्द्र जी महाराज
जन्म विक्रम सं. 1310 पौष सुदी 14, यह मूलसंघ देशीयगण पुस्तक गच्छ के विद्वान थे और श्रुतमुनि के विद्यागुरु थे। जो सारत्रय में निपुण पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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