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नगर, की प्राचीन धर्मशालाओं में से एक है। गांधी नगर दि. जैन मन्दिर के साथ ही एक नवनिर्मित धर्मशाला इसी जाति की है ।,,
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फिरोजाबाद जनपद के प्रमुख नगर व कस्बो में शिकोहाबाद, टूण्डला, फरिहा आदि में प्मावती पुस्वाल जाति का बाहुल्य है। ग्राम देहातों में अब यह जाति बहुत सीमित मात्रा में ही रह गई है। जनपद के कितने ही ग्राम अभी भी ऐसे हैं जहां प्राचीन कलात्मक दि. जैन मन्दिर हैं। जारखी, पाढ़म, आदि गांव ऐसे हैं जहां के लोग प्राय बड़े नगरों में पलायन कर गये हैं। वहां बहुत कम गिने-चुने परिवार ही निवास करते हैं। किन्तु वहां अब भी पुरातन भव्य मन्दिर हैं। आगरा, एटा और फिरोजाबाद यह तीन जनपद ऐसे हैं जिनक ग्रामों में पद्मावती पुरवाल बन्धु निवास करते थे । दोशभर में उत्तर प्रदेश के पद्मावती पुरवाल जहां भी आज रह रहे हैं उनकी जड़े' इन्हीं ग्रामों से जुड़ी हुई हैं ।
यहां मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं हो रहा है कि पूरे देश में दि. जैन समाज में पद्मावती पुरवाल जाति ने पूर्व और वर्तमान में अनेक उच्चकोटि के विद्वान, समाज सेवी, लेखक, वक्ता दिए हैं। इतना होने पर भी इस जाति का कोई प्राचीन इतिहास विधिवत उपलब्ध नहीं है। क्या यह हमारी सामाजिक चेतना का अभाव नहीं है। देर ही सही दुरस्त आए के कथन के अनुसार हम अब सचेत हुए यह भी अच्छा संकेत हैं अभी कुछ समय पूर्व खण्डेलवाल दि. जैन समाज में अपने पूरे देश में निवास कर रहे समाज की प्रान्तवार डायरेक्टरी प्रकाशित कराके समाज की देशभर में एक पहचान भविष्य के लिए सुरक्षित की है। पद्मावती पुरवाल समाज के इस उत्तर प्रदेश के क्षेत्र से ही बाहर जाकर बसे जातिय बन्धुओं की एक अच्छी खासी संख्या है दिल्ली, जयपुर, अजमेर, इन्दौर, कोलकत्ता, मुम्बई आदि नगरों में जातिय समाज की अच्छी संख्या है। हमारी अखिल भारतवर्षीय पद्मावती पुरवाल पंचायत का यह प्रथम दायित्व है कि वह
पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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