Book Title: Padmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Author(s): Ramjit Jain
Publisher: Pragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut

View full book text
Previous | Next

Page 413
________________ श्री सतीश जैन अखिल भारतीय समारोह एवं संस्थानों से जुड़े वरिष्ठ कार्यकर्ता एवं अनेक अभिनन्दन पुरस्कारों से सम्मानित हैं। समाजसेवी श्री प्रताप जैन ( वीर समाज):: उत्तर प्रदेश के एटा जिला, मरथरा जनपद के जमींदार और पद्मावती पुरवाल-जाति के सिरमौर-परिवार के स्व. श्री हरसुखराय जैन के तृतीय पुत्र श्री प्रताप जैन का जन्म 1 जुलाई 1939 को हुआ। 1953 में मिडिल क्लास उत्तीर्ण करके फिरोजाबाद के श्री पी.डी. जैन इंटर कॉलेज से 1955 व 1957 में क्रमशः हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। हिन्दी-विभाग के अध्यक्ष श्री नरेन्द्र प्रकाश जैन के मार्गदर्शन में वक्तृत्व-कला और लिखने के कीर्तिमान स्थापित किये, कॉलेज में शिक्षा-प्राप्ति के दिनों में ही। इंटरमीडिएट की परीक्षा समाप्त होने के कुछ दिनों बाद ही पहले से दिल्ली में रह रहे अपने अग्रज श्री प्रेमसागर जैन (राज्यसभा सचिवालय) एवं श्री सतीश जैन (आकाशवाणी) के पास दिल्ली आ गये। बड़े भाई श्री प्रेमसागर जी के संकेत पर आजीविका के लिए गांधीवादी प्रकाशन संस्था 'सस्ता साहित्य मंडल' से 1 मई 1957 से जुड़े। यहां रहते हुए ही इन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से 'प्रभाकर' की परीक्षा पास की। तत्पश्चात् 18 अप्रैल 1961 को दिल्ली नगर निगम में इनका चयन हो गया और 30 जून 1997 को वहां से सेवा निवृत्त हुए। हिन्दी भाषा, रचनात्मक कार्यों से मानवता की सेवा, और धर्म-प्रभावना के लिए समर्पित उत्साही प्रताप जैन की निम्न सेवाएं विशेष रुपेण उल्लेखनीय हैं 1. विगत लगभग 30 वर्ष में दिल्ली के विभिन्न अंचलों में स्थापित होने वाले लगभग 50 दिगम्बर जैन मंदिरों के निर्माण, उनके पंच-कल्याणकों के साथ-साथ अन्य अनेक मंदिरों की वेदी-प्रतिष्ठा महोत्सव आदि में अपनी निष्ठापूर्ण सेवाएं समर्पित की। ... .." 377 पपावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास

Loading...

Page Navigation
1 ... 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449