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पद्मावती पुरवाल घोषित किया।
एक और किंवदन्ती के अनुसार 'पद्मावती पुरवाल बाहुबली के शासन क्षेत्र-पोदनपुर के निवासी थे। कालान्तर में पोदनपुर 'पद्मावती' हो गया और यहां के निवासी चन्द्रवंशीय क्षत्रिय 'पद्मावती पुरवाल हो गए।
इस प्रकार अबतक के विवरण के सारांश में हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं
- 'पद्मावती नगर' के वासी ही पद्मावती पुरवाल हैं। - पद्मावती पुरवाल रक्त से क्षत्रिय और आचार से दिगम्बर जैन
इनकी सामाजिक व्यवस्था, सिरमौर तथा पाण्डे के महत्व तथा कार्यों से व्यवस्थित है। फलतः अन्य जैन जातियों से भिन्न हैं। इस जाति ने कभी भी अपना अलग टोटम या अलौकिक पुरुष जनक नहीं माना। इससे सिद्ध होता है कि यह मूलतः कोई अन्य
जाति (क्षत्रिय) ही हो सकती हैं हमारे विचार में कारण कुछ भी रहे हों। या मान्यताएं कुछ भी हों, एक कारण निश्चित प्रतीत होता है। वह यह कि पद्मावती पुरवाल किसी ऐतिहासिक नगर या जनपद, जिसका नाम 'पद्मनगर' अथवा 'पद्मावतीपुर' रहा हो; के निवासी थे। ये सभी लोग क्षत्रिय थे क्योंकि रक्त, आचार-विचार एवं दृढ़ आस्था वाले होने के नाते और संहनन की दृष्टि से क्षत्रिए ही प्रतीत होते हैं। इनका धर्म दिगम्बर जैन है। अतः ‘पद्याक्तीपुर' वाले (जो कालान्तर में विभिन्न स्थानों में फैल गए) 'पद्मावती पुरवाल पुकारे जाने लगे, जो आज एक पृथक जाति के रूप में प्रसिद्ध है।
पद्मावतीपुरवाल जाति की मान्यताएं भेद-पद्मावती पुरवाल जाति दो भागों में बंटी हुई है-दस्सा और पावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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