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कैप्टिन श्री माणिकचन्द्र जी जैन, फिरोजाबाद श्री कैप्टिन साहेब समाज के वीर पुरुषों में से एक थे। अधिक आयु में भी आप में युवकों जैसा साहस तथा उत्साह रहता था। जिला आगरान्तर्गत 'कोटला ग्राम आपकी जन्म भूमि है। यहीं आप अपने पिता स्वर्गीय श्री बंगालीलाल जैन की मोदभरी गोद में पले। आपके इस वंश में श्री सुखनन्दनलाल, श्री बाबूराम रईस आदि विभूतियां हुईं जो समाज-सेवा तथा जाति-हितेषी कार्यों में अपना मौलिक स्थान रखती हैं।
कैप्टिन साहेब बाल्यकाल से ही तीक्ष्ण बुद्धि के थे। थोड़े ही समय में आपने आगरा विश्व विद्यालय से बी.ए. की शिक्षा समाप्त कर ली थी। विद्यार्थी जीवन में आप खेल-कूद के भी शौकीन रहे हैं। प्रायः सभी खेलों में आप उमंग के साथ भाग लिया करते थे। आपकी जोश भरी युवावस्था ने सैनिक जीवन अपनाया। फलस्वरूप आप अपनी योग्यता, चातुर्य एवं पराक्रम के कारण कैप्टिन जैसे उच्च पद पर आसीन हुए। जैनी जब जुल्म के खिलाफ संग्राम में उतरता है, तब वह विजयश्री वरण करके ही लौटता है। आपका विजयी-जीवन इसका ज्वलन्त प्रमाण है। आपने कई युद्धों में भाग लिया और हर मोर्चे पर विजय प्राप्त की। आप अपने सैनिकों एवं उच्चाधिकारियों में अत्यन्त प्रिय रहे थे। आपने सैनिक क्षेत्र में जितनी सफलता एवं लोकप्रियता प्राप्त की, उतनी ही समाज में भी आपकी प्रतिष्ठता थी। आप स्वजाति जनों की आजीविका तथा सुख समृद्धि का प्रयास बराबर करते रहे। पूर्वाचार्यों के अनुसार धर्म पर चलना तथा प्रत्येक स्थित में धर्म का पालन एवं अनुसारण करने का आप निरन्तर ध्यान रखते थे। आपके विचारानुसार धर्म आत्मा है। अतः आत्मा द्वारा
पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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