Book Title: Padmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Author(s): Ramjit Jain
Publisher: Pragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut

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Page 407
________________ ... R EAK ... ... ARCH : के मानद प्रधान सम्पादक का दायित्व संभाला। जैन पत्रकारिता के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर सिद्ध हुआ। जैन पत्र-पत्रिकाएं अब तक सामान्य रूप से अध्यात्म पक्ष से अधिक जुड़ी रहती थीं। श्री पारस दास जैन ने साहू अशोक जी से चर्चा कर उन्हें समाज की समस्याओं से जोड़ने का मार्ग प्रशस्त किया। इससे जैन पत्र-पत्रिकाओं का नयी दिशा मिली और आज प्राय सभी जैन पत्र तत्वचर्चा के साथ समाज की समस्याओं को भी मुखरित करते हैं। इससे समाज में संगठन को बढ़ावा मिला तथा एक नई जागृति और चेतना पैदा हुई। श्री पारसदास जैन को इसके लिए दिगम्बर जैन महासमिति के इंदौर अधिवेशन में सार्वजनिक रूप से साहू अशोक कुमार जैन, श्री रतनलाल गंगवाल, श्री बाबूलाल पाटोदी ने सम्मानित किया और प्रशस्ति पत्र भेंट किया। जैनों को भारतीय संविधान में प्रदत्त अल्पसंख्यक दर्जे की मान्यता दिलाने के सभी प्रयासों में श्री पारसदास जैन जुड़े हैं तथा अल्पसंख्यक आयोग से मिलने वाले जैन शिष्टमण्डल के सदस्य रहे हैं। श्रमण-संस्कृति के संरक्षण-संवर्द्धन के लिए श्री पारस दास जैन ने साहू अशोक जी के साथ अनेक तीर्थक्षेत्रों का भ्रमण कर उनके विकास के लिए परामर्श दिया। 1993 में श्रवणबेलगोल में भगवान् बाहुबली की विश्व-प्रसिद्ध मूर्ति के महामस्तकाभिषेक-समारोह के लिए अशोक जी ने आपको कार्यकारिणी का सदस्य मनोनीत किया था। इस प्रकार देश में जहां भी राष्ट्रीय स्तर के आयोजन हुए, चाहे वह तीर्थवंदना, रथ-प्रवर्तन का हो, बावजगजा-महोत्सव, दिल्ली में अहिंसा-स्थल पर मूर्ति की स्थापना अथवा शिखरजी-रैली का, श्री पारसदास जैन उसमें सम्मिलित थे। पत्रकार के रूप में समाज की आवाज को देशभर में प्रसारित करने का गुरुतर भार उन्होंने पूरे दायित्व के साथ निभाया। उनका यह सेवा कार्य जीवन का जैसे अभिन्न अंग बन चुका था। साहू रमेशचंद्र जैन के साथ भी बुदेलखण्ड पावतीपुस्खाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास

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