Book Title: Padmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Author(s): Ramjit Jain
Publisher: Pragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut

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Page 354
________________ पुस्तकों की रचना कर प्रकाशित किया। हिन्दी साहित्य के प्रति अनुराग स्तुत्य है। भारत के प्रसिद्ध सर सेठ हुकुमचन्द जैन के परिवार में आपने गार्जियन ट्यूटर की सेवाएं प्रदान की। आप उनकी पारमार्थिक संस्थाओं के मंत्री पद पर भी रहे। आपके मूल्यवान सुझाव, सुनिश्चित योजनाएं तथा सुव्यवस्थित कार्य प्रणाली के कारण संस्था में नवीन जागृति आ गई थी। आप दि. जैन पद्मावती पुरवाल संघ इन्दौर के संस्थापक तथा सभापति थे। समाज उनके योगदान के प्रति आज भी ऋणी है। __ आपकी पत्नी श्रीमती विश्वेश्वरी देवी जैन को भी आदर्श नारियों में गिना जाता था। आपके पांच पुत्र तथा दो पुत्रियां थी। आपके दो पुत्र भी विनय कान्त व कमलाकान्त का अल्प आयु में ही निधन हो गया। श्री कमलाकान्त जैन तथा रमाकान्त जैन मेरीन इंजीनियर होकर बम्बई में ही बस गये हैं। आपके चतुर्थ पुत्र श्री रविकान्त जैन इन्दौर में रहकर सामाजिक एवं राजनैतिक गतिविधियों में सक्रिय सहयोग दे अपने परिवार का नाम रोशन कर रहे हैं। वे कई सामिजिक संस्थाओं के पदाधिकारी हैं। श्री रामस्वरूप जी का स्वर्गवास कार्यरत रहते हुए सन 1962 में मोटर दुर्घटना से हो गया। आपके निधन से सम्पूर्ण समाज शोक संतप्त हो गया। आपके द्वारा की गई समाज सेवा चिरकाल तक स्मरणीय रहेगी। स्व. श्री श्यामस्वरूप जैन, इन्दौर आपका जन्म सन् 1910 एटा में सुप्रसिद्ध समाज सेवी श्री बाबूराम जैन के यहां हुआ था। श्री शोभाचन्दजी, श्री चम्पारामजी आदि प्रसिद्ध विभुतियां इसी वंश की देन थी। आपका लालन पालन बड़े ही रईसाना ढंग से हुआ। आपकी शिक्षा इन्टर मीडिएट तक हुई है। आपका मधुर स्वभाव एवं दयाभाव सभी को पद्यावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 317

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