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6. मुनिश्री ऊर्जयन्तसागर जी. .
स्वस्थ, सुन्दर एंव आकर्षक व्यक्त्वि के धनी मुनि ऊर्जयन्तसागर जी ने उपलब्ध भौतिक सुखों को क्षणिक मानकर तथा उनकी अवहेलना कर जब मुनि-दीक्षा ग्रहण की, तो लोग आश्चर्यचकित रह गये।
मुनिश्री अत्यन्त जिज्ञासु, जिनवाणी के प्रचारक एवं नई पीढ़ी के लिये जागरूक बनाने के लिए प्रयत्नशील हैं।
जीर्ण-शीर्ण जैन पाण्डुलिपियों के उद्धार के लिये अत्यन्त चिन्तित मुनिश्री का विद्वज्जनों के प्रति अनन्य स्नेह एवं उन्हें ठोस कार्य करने के लिये निरन्तर प्रेरणा प्रदान करते रहते हैं। बहुत कम समय में ही आपकी कठोर साधना ने बहुसंख्यक जैन समाज को अपना भक्त बना लिया है। 7. मुनिश्री अनन्तसागर जी
इनका जन्म वि.सं. 1860 में पुनहरा (एटा) में हुआ। बाल-ब्रह्मचारी रहे तथा वि.सं. 2027 में मुनि-दीक्षा ग्रहण कर स्वपरहित किया। 8. मुनिश्री पार्श्वसागर जी
इनका जन्म वि.सं. 1872 में कोटला (फिरोजाबाद) में हुआ। बाल-ब्रह्मचारी रहे तथा वि.सं. 2018 में मुनिदीक्षा ग्रहण कर अपना तथा लोक-कल्याण किया। 9. मुनिश्री सम्भवसागर जी
इनका जन्म वि.सं. 1861 रेमजा (फिरोजाबाद) में हुआ। वि.सं. 2027 में मधुबन में मुनि-दीक्षा ग्रहण कर कठोर साधना की। 10 ऐलक बाबा जानकीदास
जानकी दास जी का जन्म पाढम (मैनपुरी) में हुआ। अपनी सरलता और लोकप्रियता के कारण वे सभी के लिये 'बाबा' उपाधिकारी बन गये
पद्यावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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