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3. आचार्य श्री निर्मलसागर जी . . . . .
पहाड़ीपुर (एटा, यू.पी.) में वि.सं. 2008 में इनका जन्म हुआ तथा वि. सं. 2024 में मुनि-दीक्षा ग्रहण की। तत्पश्चात् आपने लगभगन 10 भव्यों के लिये विविध दीक्षाएं प्रदान कर आचार्य-पद प्राप्त किया।
4. आचार्य सुधर्मसागर जी
एक ओर जहां आप संस्कृत, हिन्दी, गुजराती, मराठी, बंगला एवं अंग्रेजी के विद्वान थे, वहीं मुनि-दीक्षा ग्रहण करने के बाद कठोर तपस्वी भी। इनका सम्रग परिवार ही विद्या-व्यसनी था। इन्होंने अनेक साधुओं को पढ़ाकर विद्वान बनाया। ये प्रौढ़ चिन्तक एवं लेखक भी थे। इनके निम्नलिखित ग्रन्थ बड़े ही लोकप्रिय सिद्ध हुए
1. सुधर्म-ध्यान-प्रदीप 2. चतुर्विशति-तीर्थंकर-स्तवन, एवं, 3. सुधर्म-श्रावकाचार।
सुविख्यात चिन्तक लेखक विद्वान पं. लालाराम जी शास्त्री एवं पं. मक्खनलाल जी शा. (मुरैना) आपके ही सगे भाई थे।
आचार्य श्री का जन्म चावली (आगरा) में वि.सं. 1942 में तथा स्वर्गारोहण वि.सं. 1995 में हुआ।
5. मुनिश्री अजितसागर जी __ आपका जन्म वि.सं. 1982 में भौंरा ग्राम (आष्टा, भोपाल) में हुआ। प्रतिष्ठा आदि कार्यों के कारण कृतज्ञ समाज ने आपको महापण्डित, विद्यावारिधि आदि उपाधियों से सम्मानित किया। वि.सं. 2018 में आपने मुनि दीक्षा ग्रहण की।
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पावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकाम