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आचार्य-मुनि आदि की परम्परा आचार्य गण- . 1. आचार्य विमलसागर जी ___ कोसमा (एटा, यू.पी.) में वि.सं. 1873 में जन्म तथा कुचामन के जैन विद्यालय में प्रधानाध्यापकों के बाद वि. सं. 2009 में मुनि-दीक्षा तथा सं. 2018 में आचार्य पद प्राप्त किया। उपसर्ग-विजेता के रूप में प्रसिद्ध आचार्य विमलसागर जी की प्रवचन-शैली तथा मन्त्र-शक्ति के प्रभाव के कारण लाखों की संख्या में जैनाजैन उनके भक्त बन गये। उन्होंने लगभग 400 से अधिक श्रावकों को विभिन्न दीक्षाएं प्रदान की।
2. आचार्य महावीरकीर्ति जी
इनका जन्म वि.सं. 1967 में फिरोजाबाद (आगरा) में हुआ एवं स्वर्गारोहण वि.सं. 2029 में।
आचार्यश्री अपने दीक्षाकाल से ही कठोर साधक तपस्वी, विविध प्रकार के उपसर्गों के विजेता तथा चमत्कारी मन्त्र-शक्ति से सम्पन्न के रूप में विख्यात थे। मुनि-दीक्षा के पूर्व आपने इन्दौर से न्यायतीर्थ एवं आयुर्वेदाचार्य की कक्षाओं का पाठ्यक्रम पूर्ण कर 32 वर्ष की आयु में आचार्य श्री आदिसागर जी से मुनि-दीक्षा ग्रहण की थी।
आपके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रभावित होकर अनेक भव्यों ने आपसे विभिन्न दीक्षाएं ग्रहण की।
पद्यावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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