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श्री प्रकाश जैन सन् 1934 में कलकत्ता में जन्में श्री प्रकाश का पारिवारिक निवास फरिहा (मैनपुरी) में था।
श्री प्रकाश विषम परिस्थिति से हार न मानकर आगे बढ़ते रहे। पत्रकारिता ने उनहें विशेष प्रसिद्धि प्रदान कराई। उनके द्वारा सम्पादित पत्रिकाओं के नाम निम्न प्रकार हैं
1. बाल प्रभात (सन् 1965 से) एवं, युगवीर (पटना से, सन् 1973 से)। इनकी निम्नलिखित पुस्तकें ख्याति प्राप्त हैं
1. वरमाला (1966 ई.), 2. आओ साथी करें वन्दना (1967 ई.), 3. द्वादश-द्वादशी (1965 ई.), साहसी अरुण (बाल-उपन्यास), 5. आदीश-अर्चना (भावपूर्ण पूजन), 6. बूझो तो जानें नानी की कहानी (8 पद्य कथाएं), (7-15) 8 ग्रन्थ अप्रकाशित, 16. आचार्य शान्तिसागर संबंधी महाकाव्य भी अप्रकाशित ही रह गया।
पाण्डेय कंचनलाल मुनिराज ब्रह्मगुलाल की परम्परा में उत्पन्न पाण्डेय महाकवि पाण्डेय रूपचन्द के वंशज थे। समाज-सेवा के साथ-साथ उन्होंने राष्ट्रीय विकास कार्यों तथा प्राइमरी पाठशालाओं की स्थापना, धर्मशालाओं एवं सार्वजनिक कुओं का निर्माण, पशुपालन, वृक्षारोपण के कार्यक्रमों का संचालन तथा पैंडत, जखैया आदि स्थानों पर बलि-प्रथा की बन्दी आदि, अखिल भारतीय जीवदया-प्रचारिणी समिति, अत्याचार-निरोधक समिति, आदि के माध्यम से उनके असीमित रचनात्मक योगदानों को भुलाया नहीं जा सकता।
पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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