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पं. कुंजीलालजी शास्त्री
सन् 1917 में मरसेना ( अहारन, आगरा) में जन्म प्राप्त पं. कुंजीलाल जी ने सन् 1939 में मुरैना विद्यालय से शास्त्री परीक्षा उत्तीर्ण कर वहीं अध्यापन कार्य किया। बाद में आप गिरिडीह (बिहार) के जैन विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर रहे। अध्यापन के साथ-साथ नई पीढ़ी के विद्वानों को प्रेरणा देकर उन्होंने साहित्यिक कार्य करने हेतु मार्गदर्शन दिया, साथ ह सामाजिक जागरण हेतु विविध रचनात्मक कार्य किये।
बाबू जगरूपसहाय
आपका जन्म उम्मरगढ़ (एटा) में हुआ। आपने कठिन परिस्थितियों में भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर शिक्षा एवं समाज के क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान कर अनेकविध प्रतिष्ठित सम्मानों को अर्जित किया ।
श्री रत्नेन्दु फरिहा
श्री रत्नेन्दु फरिहा ( मैनपुरी यू. पी., वि.सं. 1871-2006) का बहुआयामी व्यक्तित्व था । एक ओर वे षट्दर्शन के चिन्तक विद्वान थे, तो दूसरी ओर ज्योतिष के विद्वान एवं प्रतिष्ठाचार्य । इनके अतिरिक्त भी वे राष्ट्रीय - भावना से ओतप्रोत थे और कांग्रेस के सक्रिय सदस्य । अपनी कविताओं में इन्होंने छायावाद एवं हालावाद का प्रयोग कर अपनी विशेष पहिचान बनाने का प्रयत्न किया ।
प्राचार्य नरेन्द्रप्रकाश जैन
प्राचार्य नरेन्द्र प्रकाश (फिरोजाबाद) वर्तमान कालीन विद्वत्मण्डली के ऐसे भाग्यशाली नक्षत्र हैं, जिसका प्रकाश पद्मावती-पुरवाल समाज की सीमाओं को लांघकर सर्वत्र अपने चिन्तन एवं अनुभव के कणों को बिखेर
पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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