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इसके अतिरिक्त यहां पर दिगम्बर जैन नेमिनाथ मंदिर है। यह भी शिखरबंद मंदिर है। 1988 में मंदिरजी में कांच का काम हो जाने से इसका भव्य रूप सामने आया है। अतः इसे कांच वाला मंदिरजी भी कहते हैं। यहां पर चिरौली गांव के परिवारजनों का भी एक मन्दिर है, जिसकी स्थापना 1986 में हुई।
नेशनल हाईवे पर जैन बगीची में पूज्य आचार्य श्री विमलसागरजी महाराज की प्रेरणा से स्थानीय समाज ने 1984-85 में एक मंदिर यहां बनाने का संकल्प किया। बगीची के एक हिस्से में बाद में आचार्यश्री के संघस्थ साधु की समाधि बनी। आचार्य श्री विमलसागर जी महाराज के एक शिष्य के ही सानिध्य में यहां पंचकल्याणक, प्रतिष्ठा महोत्सव हुआ।
यहां पर एक पंचायती धर्मशाला है। जैन जूनियर हाई स्कूल है, दिगम्बर जैन प्राचीन पाठशाला आदि संस्थाएं स्थानीय निवासियों की सेवा में समर्पित है। स्व. कवि श्री भगवतस्वरूप की जन्म स्थली होने के कारण साहित्यिक जगत में एत्मादपुर को बड़ी ख्याति मिली है।
वर्तमान में यहां लगभग 80 परिवार रहते हैं। श्री रामबाबू जैन यहां के अध्यक्ष हैं।
अवागढ़ (एटा, उ.प्र.) एटा टूंडला मार्ग पर अवागढ़ एक प्राचीन रियासत है जिसका अस्तित्व मुगल शासन और ब्रिटिश शासन में भी था। पद्मावती पुरवाल जाति के लगभग 500 वर्ष पूर्व हुए गौरव पुरुष मुनि श्री ब्रह्मगुलाल का जीवन चरित्र के रचियता कवि छत्रपति का जन्म भी यहीं हुआ था। वर्तमान में पद्मावतीपुरवाल जाति के लगभग 125 परिवार यहां रहते हैं। काफी परिवार यहां से बाहर भी जा चुके हैं। जैन जातियों में से और किसी जाति अथवा गौत्र के परिवार यहां नहीं रहते। पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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