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विभिन्न प्रकार के आयोजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्पन्न होते हैं, मझवीर जयंती के अवसर पर होनहार बालक-बालिकाओं को पुरुस्कार आदि से सम्मानित किया जाता है। मेला के अवसर पर बाहर से आने वाले यात्रियों को रुकने खाने-पीने की व्यवस्था जैन समाज द्वारा अतिथि-भवन, जी.टी. रोड, एटा पर होती है। वर्तमान में मेले की शोभायात्रा बड़े भव्य तरीके से गाजे-बाजे के साथ सम्भव होती थी।
इन सब कार्यक्रमों की सुरक्षा व्यवस्था हेतु यहां पर एक दि. जैन. वीर मण्डल है, जिसकी की स्थापना स्व. श्री लक्ष्मीशंकर जी अतार द्वारा आजादी से पूर्व में की गयी थी। इस मण्डल की अपनी एक विशेष ख्याति है जिसे समय-समय पर पड़ोसी जनपदों में मेला कार्यक्रम आदि के अवसर पर सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी सोंपी जाती रही है, जिसे इस मण्डल द्वारा बखूबी सम्पन्न किया जाता रहा है।
समय-समय पर यहां आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज, आचार्य श्री महावीर कीर्ति महाराज, आचार्य श्री विमलसागर जी महाराज, आचार्य श्री निर्मलसागर जी महाराज, आचार्य श्री सन्मतिसागर जी महाराज (फफोतू) एवं आचार्य श्री कल्याणसागर जी महाराज एवं अनेक साधु एवं साध्वीगण ससंघ पधार कर चातुर्मास कर चुके हैं, वर्तमान में 105 विशुद्धमती माताजी ससंघ विराजमान हैं।
इसी जनपद एवं इसी पद्मावती पुरवाल समाज से आचार्य विमलसागर एवं आचार्य सन्मतिसागर जी (फफोतू वाले) हैं, जिनकी अपनी विश्व ख्याति रही है।
क्षुल्लक गणेश प्रसाद जी वर्णी का भी कई बार इस एटा नगर में प्रवास हो चुका है। उन्हीं की प्रेरणा पर सन् 1951-52 में सेठ भूदरदास भामण्डल दास तथा समग्र जैन समाज (पद्मावती पुरवाल) के सहयोग से एक
शैक्षिक संस्थान जोकि वर्णी जैन इण्टर कालेज के नाम से आज भी पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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