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उस समय विवाह शादी के अवसर पर गीतों में बुलावे का चलन इन सभी 40 घरों में था, जिसे आज भी चालीसों के गीतों के नाम से बुलावा दिया जाता है। ..
.. बड़े जैन मन्दिर के ही भाग में अतिथि भवन जिसमें मुनियों और साधुगण के रुकने की अच्छी व्यवस्था है, इससे पूर्व इस भवन में प्राइमरी पाठशाला चलती थी जो अब नेमिनाथ जिनालय ठण्डी सड़क एटा पर वर्ष 1985 में स्थापित हो गयी है, अब यह पाठशाला हाईस्कूल स्तर तक लड़कियों का शिक्षा केन्द्र है। इसी में नेमिनाथ जिनालय स्थित है जिसमें 1008 भगवान नेमिनाथ की खड्गासन (काली) प्रतिमा स्थापित है तथा एक मान स्तम्भ भी बना हुआ है। इसकी व्यवस्था भी पंचायती जैन बड़ा मंदिर के द्वारा सम्पन्न होती है। इसी पंचायती मन्दिर की देख-रेख में मौ. सरावज्ञान में ही एक होम्यो-औषधालय भी संचालित है। इसी समाज की व्यवस्था के अन्तर्गत दिगम्बर जैन अतिथि भवन (जैन धर्मशाला) जी.टी. रोड एटा पर स्थित है।
बड़ा जैन मंदिर में सबसे पुरानी 1008 भगवान पार्श्वनाथे की प्रतिमा जी पुराने कक्ष में आज भी स्थित है। इसके अलावा भी कई वेदी हैं। पुराने समय में श्री झब्बू लाल जी जैन सर्राफ तथा शोभाराम जी बजाज तथा अन्य 20-25 लोग नित्य प्रति पूजा पाठ किया करते थे। आज भी अच्छी संख्या में लोग प्रातःकाल पूजा-प्रक्षाल करते हैं। तत्कालीन समय में इन्हीं कुछ लोगों के प्रयास से यहां मेला निकलने की शुरुआत की गई यह बात भी लगभग एक शताब्दी पुरानी होगी। उस समय घण्टाघर पर मण्डप बनाकर एक दिन के मेले का आयोजन होता था, प्रतिमाजी एक पेठी में रखकर पण्डाल स्थल पर ले जायी जाती थी। वर्तमान में घण्टाघर चौक पर वर्ष में 2 बार मेले का आयोजन श्री महावीर जयंती एवं पर्युषण पर्व के उपरान्त क्रमशः तीन-दिन व दो दिन का आयोजन होता है। जिसमें
पावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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