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संस्था लगभग 70 वर्ष की अवधि में यथाशक्ति और यथा संभव इन तीनों उद्देश्य की प्राप्ति तथा उन्हें कार्यरूप में परणित करने को प्रयत्नशील रही है।
सर्व प्रथम जैन मेला भूमि के निकट जमीन खरीदी जिस पर कालक्रम से बाहुबलि पार्क, शीतलनाथ जिनालय और पन्नालाल दिगम्बर जैन इण्टर कालेज की स्थापना हुई।
लगभग साढ़े चार हजार की प्रारम्भिक धन राशि, सहायता आदि के कर्तव्यों का निर्वहन, आवश्यक खर्चों का भुगतान तथा ब्याज पर उठी रकम बट्टे खाते में सहन करते हुए भी आज 2 लाख 30 हजार से ऊपर फण्ड कमेटी के बैंक एवं पोस्ट आफिस के खातों में जमा है।
वर्तमान में 18 छात्र/छात्राओं तथा विधवाओं को करीब बारह सौ रु. प्रति माह सहायता दी जा रही है। आत्मनिर्भर बनाने की दृष्टि से पांच महिलाओं को एक-एक सिलाई मशीन भेंट की गई है।
दो छात्राओं को परीक्षा शुल्क भुगतान हेतु तीन सौ तथा आठ सौ सोलह कुल (1116/- रु.) की एकमुश्त सहायता दी गई।
आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि विगत वर्षों में समाज के कई छात्रों ने फण्ड कमेटी से आर्थिक सहयोग प्राप्त कर मेडिकल, इन्जीनियरिंग, चाटर्ड एकाउण्टेन्सी, शिक्षक प्रशिक्षण तथा स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर की परीक्षायें उत्तीर्ण कर अपना जीवन सफल बनाया है। इनमें से कई युवाओं ने समर्थ और आत्मनिर्भर हो जाने पर छात्रावस्था में प्राप्त धनराशि स्वेच्छा से सधन्यवाद फण्ड कमेटी को वापस भी की है। __यह सच है कि विगत काल की अपेक्षा सहायता प्राप्त करने वालों की संख्या और सहायतार्थ प्रदत्त राशि में समयानुकूल वृद्धि हुई है तथापि वर्तमान महंगाई को देखें तो पचास-सौ रुपया प्रतिमाह की सहायता का काई विशेष महत्व नहीं है। पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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